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नाम उत्कृष्ट विद्यालय, जर्जर भवन होने पर बच्चे खुले में पढऩे को मजबूर

सीकर/ खंडेला. अंतिम पंक्ति के बालक को शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए जहां सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोले हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सुविधाओं का टोटा है।

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सीकर

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Ajay Sharma

Aug 19, 2022

नाम उत्कृष्ट विद्यालय, जर्जर भवन होने पर बच्चे खुले में पढऩे को मजबूर

नाम उत्कृष्ट विद्यालय, जर्जर भवन होने पर बच्चे खुले में पढऩे को मजबूर

सीकर/ खंडेला. अंतिम पंक्ति के बालक को शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए जहां सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोले हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सुविधाओं का टोटा है। वहीं पहले से संचालित हिंदी माध्यम विद्यालयों की दुर्दशा पर सरकार को ध्यान नहीं दे रही है। इसी का उदाहरण खंडेला पंचायत समिति की कोटड़ी लुहारवास ग्राम पंचायत के लुहारवास ग्राम में संचालित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में देखा जा सकता है।

यहां पिछले 5 साल से 175 विद्यार्थी विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण भय के साए में अध्ययन करने को मजबूर हैं।विद्यालय प्रबंधन द्वारा वर्ष 2016 में भवन की जर्जर हालत को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाए जाने के बाद वर्ष 2017 में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने विद्यालय में बने पांच कमरों को नकारा घोषित कर दिया है। इसके बावजूद इसके संबंधित किसी भी विभाग के नुमाइंदों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसका खामियाजा विद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इससे उनकी पढ़ाई तो चौपट हो ही रही है दूसरी ओर हमेशा डर के साए में दिन गुजारने पड़ रहे हैं। विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने अपने हालात बयां करते हुए बताया कि सर्दी गर्मी व बरसात के मौसम में बाहर व एकमात्र नीम के पेड़ की छांव में बैठकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करनी पड़ रही है। गांव में अन्य कोई विद्यालय नहीं होने के कारण भी अभिभावक अपने बच्चों को अन्यत्र विद्यालय में भी नहीं भेज सकते। विद्यालय में समय समय पर क्लॉक स्तर से जिला स्तर के अधिकारी निरीक्षण के लिए आने के बाद भी वो इस ओर ध्यान नहीं देते हैं और निरीक्षण कर लौट जाते हैं। विद्यालय में बने 5 कमरों के जर्जर होने की सूचना ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक विद्यालय के प्रधानाध्यापक कई बार भेज चुकी हैं, लेकिन अध्ययनरत विद्यार्थियों की जान की परवाह किए बिना पिछले 5 साल में कोई कदम नहीं उठाया गया।

मौसम के अनुसार होती है वैकल्पिक व्यवस्था

विद्यालय में बने कुल पांचों कमरे जर्जर होने के काण विद्यालय प्रबंधन सर्दियों मेें बच्चों को खुले आसमान के नीचे अध्ययन करवता है। वहीं गर्मियों में विद्यालय में लगे एक नीम के पेड़ के नीचे अध्ययन करवाया जाता है। बरसात के मौसम में हालत और भी बदतर हो जाते हैं जिसकी वजह से स्कूल में लगे टीन शेड के नीचे खड़े रहकर समय गुजारना पड़ता है।

माइनिंग जोन से महज 400 मीटर दूर है स्कूल

माइनिंग जोन से महज 300-400 मीटर की दूरी पर ही विद्यालय स्थित है। जब उन पत्थर की खानों में ब्लास्टिंग होती है तो तेज धमाके होते हैं। उन धमाकों से नकारा हो चुके कमरे कभी भी गिर सकते हैं।

अध्यापकों के पद भी रिक्त

स्कूल में प्रधानाध्यापक सहित अन्य तीन अध्यापकों के पद भी रिक्त हैं। इन पदों के रिक्त होने के बावजूद भी इस स्कूल के 2 अध्यापकों को बीएलओ का कार्यभार भी दे रखा है जो विद्यालय से आठ से दस किलोमीटर की दूरी पर है।