
सीकर. गर्मी में दोहरी मार सहनी पड़ रही है। एक तरफ हलक प्यासे हैं, तो दूसरी ओर अस्पतालों में वायरल और बैक्टीरिया पीडि़तों की संख्या बढ़ती जा रही है। गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही अस्पतालों में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से पीडि़त मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। चिंताजनक बात है कि दिमागी बुखार (मेनिन्जाइटिस) और दिमाग की नसों में खून का थक्का जमने (सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस) के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। इन मरीजों में युवा वर्ग की संख्या ज्यादा है। चिकित्सकों के अनुसार दिमागी बुखार के प्रमुख लक्षणों में तेज सिरदर्द, लगातार उल्टी आना, गर्दन में अकडऩ या ऐंठन, बुखार, और चक्कर आना शामिल हैं। कुछ गंभीर मामलों में मरीजों को भ्रम की स्थिति, बेहोशी और दौरे भी पड़ सकते हैं। कल्याण अस्पताल की न्यूरो ओपीडी में पिछले कई दिन से रोजाना इस तरह के नए मरीज आ रहे हैं। कई मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है, राहत की बात है कि इस प्रकार के मरीजों को साधारण एंटीबॉयोटिक और बॉडी को हाइड्रेट रखकर छुट्टी दी जा रही है।
चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी मुख्य रूप से वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के संक्रमण के कारण होती है, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाली झिल्लियों (मेनिन्जेस) में सूजन पैदा कर देते हैं। वहीं सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस में दिमाग की नसों में खून का थक्का बन जाता है। इससे दिमाग में खून की आपूर्ति रुक जाती है और स्ट्रोक या अन्य गंभीर जटिलताएं होने लगती है। गर्मी में जलजनित और वायुजनित संक्रमण तेजी से फैलते हैं, जिससे ये रोग अधिक सक्रिय हो जाते है।
इंफ्लूएंजा,पैरा इंफ्लूएंजा और इंटेरोवायरस लोगों को संक्रामक रोग की चपेट में ले रहा है। इस तरह के फीवर में मरीज पूरी तरह बदहवास रहता है। वायरल फीवर पांच से छह दिन में उतर जाता है। इससे अधिक समय तक बुखार रह गया तो इसका असर दिमाग की कोशिकाओं पर पड़ सकता है। ऐसे में बिना सलाह दवा न लें। बैक्टीरियल और इंसेफेलाइटिस दो तरह के बुखार होते हैं। बैक्टीरियल में दिमाग की कोशिकाओं के आसपास पानी की परत जमा हो जाती है जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस फीवर मच्छरों के काटने से होता है जिसे सेरीब्रल मलेरिया कहा जाता है। इंटेरोवायरस से सबसे अधिक आंत और पेट संबंधी बीमारी होती है।
ओपीडी में दिमागी बुखार और सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस के मरीज आने लगे हैं। लक्षण नजर आने पर मरीज के खून की जरूरी जांच व ब्रेन एमआरआई करवाएं। एंटीबॉयोटिक लेने के साथ बॉडी को हाइड्रेट करें। खानपान और दैनिक दिनचर्या का खयाल रखा जाए तो इन बीमारी से बचा जा सकता है।
डॉ. श्रीनेहा, न्यूरोलॉजिस्ट, कल्याण अस्पताल
Updated on:
16 Apr 2025 08:10 pm
Published on:
16 Apr 2025 07:46 pm
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