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पहला मामला: भागते-भागते हांफ गया तो खुद ही पुलिस के पास पहुंचा आनंदपाल गैंग का गुर्गा

locationसीकरPublished: Aug 22, 2019 01:11:02 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

History of Anandpal Gangs Rewarded Criminal Natwar : आनंदपाल गैंग से जुड़े 10 हजार रुपए के इनामी बदमाश नटवर उर्फ नट्टू ने बुधवार को पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया।

History of Anandpal Gangs Rewarded Criminal Natwar : आनंदपाल गैंग से जुड़े 10 हजार रुपए के इनामी बदमाश नटवर उर्फ नट्टू ने बुधवार को पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया।

पहला मामला: भागते-भागते हांफ गया तो खुद ही पुलिस के पास पहुंचा आनंदपाल गैंग का गुर्गा

सीकर.

History of Anandpal Gangs Rewarded Criminal Natwar : आनंदपाल गैंग से जुड़े 10 हजार रुपए के इनामी बदमाश नटवर उर्फ नट्टू ने बुधवार को पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। सीकर में ऐसा पहली बार हुआ है कि गैंग के बदमाश ने पुलिस के समक्ष पेश होकर सरेंडर किया है। पुलिस अब उसके फरार साथी सीताराम व शक्ति सिंह की तलाश कर रही है। पुलिस अधीक्षक डॉ. गगनदीप सिंगला ने बताया कि 10 हजार रुपए के इनामी बदमाश नटवर उर्फ नट्टू (21 )पुत्र भंवरलाल निवासी रघुनाथपुरा, लोसल आनंदपाल गिरोह का सर्किय सदस्य रहा है। वह लंबे समय से सुभाष बानूड़ा के साथ जुड़ा हुआ था।


उन्होंने बताया कि पुलिस के दबाव के कारण नटवर ने डीएसपी सिटी सौरभ तिवाड़ी के समक्ष सरेंडर किया। उसने अपराध को छोडकऱ सामान्य स्वच्छ जीवन जीने का संकल्प लिया। सरेंडर होने के बाद उसने पुलिस अधिकारियों को कहा कि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर कई दिनों तक रात को छिपकर सोते थे। कई बार भूखे भी सोना पड़ता था। उसकी गैंग के ज्यादातर साथी पकड़े जा चुके है। वह पुलिस की लगातार दबिश के कारण भागते-भागते काफी थक गया। अब वह अपराध की दुनिया से दूर रहेगा। नटवर के खिलाफ लूट, डकैती व हत्या के प्रयास के तीन मुकदमे हैं।


अपराध में शामिल होने के बाद पढ़ाई छूटी
नटवर सीकर में ही प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था। उसका बड़ा भाई होमगार्ड में हैडकांस्टेबल है और छोटा भाई 11वीं कक्षा का छात्र है। पूछताछ में बताया कि उसने पवन और सुभाष बानूड़ा के साथ नागवा, अजमेर, गुजरात, महाराष्ट्र, जयपुर के अलावा सीकर में भी फरारी काटी। वह बीकानेर में भी साथियों के साथ रहा था। तीनों फरारी के दौरान मुंबई चले गए थे। भनक लगने के डर से अहमदाबाद चले गए। वहां से मुंबई आ गए। कई दिनों तक ट्रेन और बस में ही सफर करते रहे। जांच में पता लगा कि वह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ घरों में फरारी काटते रहे थे। वह सुभाष बानूड़ा और पवन के साथ ही फरारी के दौरान साथ ही रहता था। सुभाष और पवन के पकड़े जाने के बाद से वह अकेला हो गया था।

पहला मामला: भागते-भागते हांफ गया तो खुद ही पुलिस के पास पहुंचा आनंदपाल गैंग का गुर्गा

सुभाष बानूड़ा ( Subhash Banuda ) के कारण बना अपराधी
एसपी गगनदीप सिंगला ने बताया कि फरार बदमाशों को पकडऩे के लिए पुलिस की टीम लगातार दबिश दे रही थी। कुछ दिनों पहले भी फरार सीताराम और नटवर को पकडऩे के लिए कई संभावित ठिकानों को दबिश दी थी। उन्होंने बताया कि नटवर को पकडऩे के लिए एएसपी सीकर देवेंद्र शर्मा, एएसपी नीमकाथाना दिनेश अग्रवाल, डीएसपी सिटी सौरभ तिवाड़ी, डीएसपी ग्रामीण कमल सिंह, उद्योगनगर थानाधिकारी वीरेंद्र शर्मा, रानोली थानाधिकारी पवन चौबे, साइबर सैल एसआइ मनीष तिवाड़ी, एसआई सुनील जागिड़, सिपाही राजपाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


मनोज ओला ( Manoj Ola ) पर फायरिंग में शामिल
बलबीर बानूड़ा की मौत का बदला लेने के लिए सुभाष बानूड़ा ने दोस्त पवन, नटवर व सीताराम को अपने साथ मिलाया था। नटवर साथियों के साथ राजू ठेहट ( Raju Theth ) के गुर्गे मनोज ओला पर फायरिंग कर हत्या करने के प्रयास में शामिल रहा था। जयपुर ग्रामीण के सरुंड थाने में भी सीकर के व्यापारी से 45 लाख रुपए की लूट की थी। नटवर ने चाचा झाबरमल से लेनदेन को लेकर जान की धमकी दी थी। तीनों ही मामलों में वह फरार था। नटवर अपने दोस्त पवन और सुभाष बानूड़ा के कारण ही अपराध की दुनिया में शामिल हुआ था। सुभाष और पवन के पकड़े जाने के कारण ही अकेला हो गया था।

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