प्रदेश के कई सरकारी चिकित्सा संस्थानों में मरीज को निजी अस्पताल या जांच लैब में ले जाने का खेल चल रहा है। जिससे मरीजों को निशुल्क जांच योजना व दवा योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है। लपकों पर कार्रवाई को लेकर सख्त कदम उठाए जाने के बाद अब सीकर मेडिकल कॉलेज के अधीन कल्याण अस्पताल के बाद अब सरकारी जनाना अस्पताल को लपकों ने नया ठिकाना बना लिया है।
प्रदेश के सरकारी चिकित्सा संस्थानों में मरीज को निजी अस्पताल या जांच लैब में ले जाने का खेल चल रहा है। जिससे मरीजों को निशुल्क जांच योजना व दवा योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है। लपकों पर कार्रवाई को लेकर सख्त कदम उठाए जाने के बाद अब सीकर मेडिकल कॉलेज के अधीन कल्याण अस्पताल के बाद अब सरकारी जनाना अस्पताल को लपकों ने नया ठिकाना बना लिया है। जहां लपके मरीजों की जांच निजी लैब में करवा रहे हैं। निजी लैब में जांच करवाने पर संबंधित कर्मचारी को जांच के शुल्क के आधार पर कमीशन दिया जाता है। लपकागिरी के इस खेल का खुलासा शनिवार को जिला कलक्टर के निरीक्षण के दौरान हुआ। निरीक्षण के दौरान भर्ती एक मरीज के परिजन ने शिकायत दी कि जनाना अस्पताल में सेम्पल कलेक्शन रूम में निजी लैब के कर्मचारी बैठे रहते हैं और जनाना अस्पताल में आने मरीज की जांच के सेम्पल की जांच के लिए निजी लैब में करवाते हैं। परिजन की शिकायत पर प्रबंधन सकते में आ गए। पिछले दिनों कल्याण अस्पताल में मरीज को लेकर जाने वाले तीन लपकों को गिरफ्तार किया गया। एक चिकित्सक को एपीओ किया गया था।
अवकाश पर मिला लैब टेक्निशिन
परिजन ने सैम्पल लेने वाले कर्मचारी का हुलिया बताया। जिसके आधार पर पता चला वह लैब टेक्निशियन संविदा पर है और शनिवार को अवकाश पर है। स्टॉफ ने भी माना कि उसके पास निजी लैब के कर्मचारी अक्सर बैठे रहते हैं। प्रारंभिक जांच में संविदा लैब टेक्निशियन और एक निजी लैब के कर्मचारी का गठजोड़ सामने आए। इस पर कलक्टर ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर प्रकरण की जांच करने और दोषी पर कार्रवाई के निर्देश दिए।
यह है प्रकरण
जनाना अस्पताल में बेरी की मंजू देवी अपने परिजन के जनाना अस्पताल में एएनसी जांच करवाने आई थी। जांच के दौरान चिकित्सक ने अन्य जांच के लिए सैम्पल देने को कहा। इस पर सेम्पल कक्ष में मौजूद नर्सिंगकर्मी ने अन्य जांच के लिए सैम्पल ले लिए लेकिन थाइराइड की जांच बाहर करवाने के कहा। इस पर वहां मौजूद निजी लैब का कार्मिक सेम्पल को लेकर निजी लैब में ले गया और परिजन से जांच के लिए पांच सौ रुपए का शुल्क ले लिया।
सैम्पल भिजवाने में कोताही
जनाना अस्पताल से कल्याण अस्पताल में आने वाले सेम्पल लाने ले जाने में कोताही की शिकायतें लम्बे समय से आ रही थी। जिसके लिए पिछले दिनों निशुल्क जांच योजना के तहत सेम्पल लाने व जांच रिपोर्ट भिजवाने के लिए एम्बुलेंस चालक को पाबंद किया था। इसके बावजूद जनाना अस्पताल में सेम्पल ले जाने वाले मरीजों के परिजनों को जांच रिपोर्ट में देरी की बात कर बरगलाते हैं। इसके लिए मरीज के सैम्पल समय पर भेजने की बजाए देरी से भिजवाता है। जिससे मरीज को जांच समय पर नहीं मिल पाती है। मजबूरी में मरीजों को रुपए खर्च करके निजी लैब में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
स्टॉफ की मिलीभगत
कल्याण अस्पताल और जनाना अस्पताल में स्टॉफ की कथित मिलीभगत के कारण ही लपके सक्रिय है। जिसकी जांच अब सीसीटीवी कैमरे के आधार पर की जाएगी। इसके लिए कमेटी की ओर से सीसीटीवी के जरिए निगरानी की जाएगी। यह कमेटी अस्पताल प्रबंधन अब वार्ड, ओपीडी और लैब में नियमित रूप से बिना कारण घूमने वाले लपकों पर नजर रखेगा। साथ ही स्टॉफ के पास अकारण और अक्सर आने वाले संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।
मरीजों को थमा रहे गलत रिपोर्ट
निशुल्क और बेहतर उपचार की आस में सरकारी जनाना अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच रिपोर्ट को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। आश्चर्य की बात है कि जांच को लेकर दो स्तर पर गंभीर लापरवाही की जा रही है। न तो लैब टेक्नीशियन रिपोर्ट में लिखी जा रही वेल्यू को चेक कर रहे हैं और न ही चिकित्सक। जिसका नतीजा है कि मरीजों का जांच रिपोर्ट से भरोसा उठाता जा रहा है। ऐसा ही एक मामला शनिवार को सामने आया। जिसमें अस्पताल की एफबीएनसी वार्ड भर्ती बच्चे की जांच परिणाम दस गुना ज्यादा लिख दिए। यही नहीं उस रिपोर्ट को चिकित्सक ने भी सत्यापित कर दिया। जिसका नतीजा हुआ कि जांच में दी गई वेल्यू को देखकर परिजनों के होश उड़ गए। हालांकि जनाना अस्पताल में एक चिकित्सक सहित लैब के स्टॉफ को लगाया हुआ है।
इनका कहना है
कल्याण अस्पताल में थाइराइड की जांच निशुल्क होती है। इसके बावजूद अस्पताल स्टॉफ की ओर से किसी भी मरीज के सेम्पल को बाहर भेजना गलत है। जनाना अस्पताल में मिली परिजन की शिकायत की जांच करवाई जाएगी। जिसके आधार पर दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी। स्टॉफ प्रबंधन को पूरी तथ्यामक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संबंधित निजी लैब् के दस्तावेजों की जांच करवाई जाएगी। निजी लैब कार्मिक को पाबंद किया जाएगा।
डॉ. महेन्द्र कुमार, अधीक्षक कल्याण अस्पताल