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OMG: धर्म के बार में यह क्या बोल गए राष्ट्रीय संत तरुण सागर, आपको भी नहीं होगा यकीन, जानिए इस खबर में…

बजाज रोड स्थित जैन भवन में गुरुवार को क्रांतिकारी संत तरुण सागर के कड़वे प्रवचनों की तीन दिवसीय श्रंखला की शुरूआत हुई। राष्ट्रीय संत ने इस मौके पर कटु सत्य की एेसी बानगी बिखेरी कि श्रोता भी मंत्रमुग्ध हो गए।

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dinesh rathore

Jul 07, 2017

बजाज रोड स्थित जैन भवन में गुरुवार को क्रांतिकारी संत तरुण सागर के कड़वे प्रवचनों की तीन दिवसीय श्रंखला की शुरूआत हुई। राष्ट्रीय संत ने इस मौके पर कटु सत्य की एेसी बानगी बिखेरी कि श्रोता भी मंत्रमुग्ध हो गए। जैन मुनि तरुण सागर ने प्रवचनों में धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि ये कोई वॉशिंग पाउडर नहीं है, जिसे पहले इस्तेमाल करो और फिर विश्वास करो। जबकि धर्म तो जीवन बीमा की तरह होता है, जोजीवन के साथ भी रहता है और मरने के बाद भी साथ देता है।

जैन मुनि ने कहा कि जहां धर्म और गुरु होता है वहीं से जीवन शुरू होता है। सही और अच्छा जीवन जीने के लिए सभी को धर्म का अनुशरण करना चाहिए और जीवन की सार्थकता के लिए एक गुरु होना भी अत्यंत आवश्यक है। भले ही वह गुरु मिट्टी का द्रोणाचार्य ही हो। क्योंकि जीवन में गुरु और संत का आना ही बसंत का आना है। बसंत आता है तो प्रकृति मुस्कुराती है और संत आता है तो संस्कृति मुस्कुरा उठती है। संत का काम ही मुर्दे में जान फूंकने का होता है। क्योंकि माता-पिता तो केवल जन्म देते हैं लेकिन, गुरू जीवन देने का काम करता है।

गई भैंस पानी में...

कड़वे प्रवचन कहने वाले संत तरुण सागर प्रवचनों के दौरान पहली बार हंसी-ठिठौली के मूड में दिखे। मजाक-मजाक में उन्होंने ढंग का जीवन जीने का संकल्प दिलाया। इस पर श्रोताओं की भी हंसी फूट पड़ी वे भी गद्गद हो गए। मुनि महाराज ने कहा कि गाय यदि श्रावण में हरा घास नहीं खाएगी तो कब खाएगी। वैसे ही चातुर्मास में यदि इंसान थोड़ा धर्म, देव दर्शन, सत्संग व संत का सानिध्य प्राप्त कर ले तो अपने जीवन में निखार ला सकता है। अन्यथा मानो गई भैंस पानी में।

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पत्नी, पड़ोसी और पुत्र को समझाना मुश्किल

राष्ट्रीय संत ने बताया कि जीवन में तीन लोगों को समझाना बेहद मुश्किल होता है। उनमें पत्नी, पुत्र और पड़ोसी शामिल हैं। इसके अलावा अपनों को और इसके बाद अपने आप को समझाना भी इतना आसान नहीं होता है। क्योंकि नियम वहीं हैं जो इच्छा पर अंकुश रखता हो। एक कहानी के माध्यम से जैन मुनि ने समझाया कि इंसान कोयल, चांद व सागर से कहता है कि तू काली नहीं होती, तेरा जल खारा नहीं होता और तुझ में दाग नहीं होता तो कितना अच्छा होता। इस पर उसे पलट कर जवाब मिलता है कि इंसान यदि बुराई किसी में बुराई नहीं ढूंढता तो कितना अच्छा होता।

शास्त्र भेंट के साथ हुई गुरु वंदना

प्रवचनों से पहले गुरु वंदना के साथ जैन मुनि की आरती की गई। भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु थिरकने लगे। सहप्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि मांगलिक क्रियाओं में दीप प्रज्जवलन माणकचंद जयपुरिया व महावीर प्रसाद काला ने किया। पाद पक्षालन फतेहचंद काला, कमल संगही व डा. महावीर प्रसाद जैन ने किया। गुरु पूजन महावीर ठोलिया, सुनील दीवान व प्रदीप छाबड़ा(सेसम वाले) द्वारा किया गया। शास्त्र भेंट ताराचंद जयपुरिया, जयकुमार छाबड़ा ने किया। मंच संचालन नीतू पाटोदी व मेघा पाटनी ने किया।

आज होगी कलश द्रव्य शुद्धि

जैन भवन में शुक्रवार को भी जैन मुनि के प्रवचन होंगे। इसके अलावा कलश द्रव्य शुद्धि का कार्यक्रम होगा। आठ जुलाई को चातुर्मास कलश स्थापना होगी। नौ जुलाई को सुबह पांच बजे जैन भवन में ध्यान शिविर व सुबह 8.30 बजे रामलीला मैदान में समवशरण कार्यक्रम होगा। इसी दिन गुरु पूर्णिमा का महोत्सव होगा। जिसमें जैन मुनि के हजारों शिष्य पहुंचेंगे।

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