
सांसद अमराराम चौधरी
व्यवस्था की खिलाफत का बीज बचपन से ही मन में अंकुरित हो गया था। विद्या्र्थी जीवन में किसान आंदोलनों को नजदीक से देखा तो कांग्रेस के गढ़ में वामपंथी विचार की जड़े मजबूत करने की ठानी। कॉलेज में एसएफआइ के बैनर तले छात्रसंघ के चुनाव लड़े। बाद में परिवार चलाने के लिए शिक्षक बन गए, लेकिन कुछ लोगों ने सरपंच का चुनाव लड़ने को कहा तो नौकरी छोड़कर अपनी शर्तो पर चुनाव लड़ने को राजी हुए। कबड्डी के नेशनल प्लेयर रहे सीकर सांसद अमराराम चौधरी सियासत के मैदान में कई मैच हारे, फिर उन्हीं में चैम्पियन बनकर निकले। राजस्थान पत्रिका से खास मुलाकात में उन्होंने अपने सियासी सफर के कई अनछुए पहलुओं पर खुलकर बात की। पढि़ए चुनिंदा सवाल जवाब ....
जवाब : बचपन से ही किसान आंदोलन नजदीक से देखे, मन में सामंतवादी विचारों के बीज अंकुरित हो गए। कॉलेज में एसएफआइ से जुड़ा और 1979 में कल्याण कॉलेज का छात्र संघ अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद दो बार ग्राम पंचायत मुंडवाड़ा से 1983 और 1993 में सरपंच का चुनाव जीता। 1993 में पहली बार सीपीआइ एम के टिकट पर धोद से विधायक और 2024 में सांसद।
जवाब : कॉलेज खत्म करने के बाद परिवार चलाने के लिए बीएड की और शिक्षक बन गया। इसी बीच राजनीति से जुड़े कुछ लोगों ने सरपंच का चुनाव लड़ने का आग्रह किया तो मन में उलझन थी, कि परिवार कैसे चलेगा ? चुनाव लड़ने का दबाव बढ़ा तो सोचा कि पुश्तैनी खेती बाड़ी से जैसे होगा गुजर बसर करेंगे। जो लोग चुनाव लड़ाना चाहते थे उनके सामने मैंने दो शर्त रखी, पहले प्रधान के लिए वोट किसी के दबाव में नहीं दूंगा, दूसरी खेतों के रास्तों के विवाद में नहीं पडूंगा। वे राजी हुए तो मैं भी नौकरी छोड़ राजनीति में आ गया।
जवाब : विरोधियों ने मुझे गुण्डा करार दिया। यहां तक कि ससुराल वाले मुझे उन्हीं की नजरों से देखने लगे। एक बार तो मेरी दूसरी शादी की अफवाह उड़ाकर पत्नी और मेरे बीच गलत फहमियां पैदा करने की कोशिश की गई। लेकिन जनता के लिए किए आंदोलनों ने मुझे सियासत के 'हीरो' के रूप में स्थापित कर दिया। कई चुनाव हारे भी, लेकिन अंतत: जनता ने जीत का सेहरा भी बांधा। 1996 से लगातार छह लोकसभा के चुनाव लड़े और पिछले चुनाव में सफलता मिली।
जवाब : मेरा परिवार मेरी परििस्थतियों को समझता है, जितना समय भी दे पाता हूं, उसमें संतुष्ट रहते हैं। पत्नी ने भी इसे लेकर कभी शिकवा शिकायत नहीं की।
जवाब : फिल्में मुझे पसंद नहीं, आज तक कोई फिल्म पूरी नहीं देखी। कॉलेज के समय यदि यार दोस्त जबरन थियेटर ले जाते थे, तो आधे घंटे में बाहर आ जाता था। संगीत में पुराने व लोकगीत अच्छे लगते हैं, लेकिन इसके लिए अलग से समय नहीं निकाल पाता।
जवाब : कबड्डी मेरा पसंदीदा खेल है। कॉलेज समय में नेशनल तक खेला हूं। उसके बाद पिछले दिनों एक मैच के उद्घाटन के समय कबड्डी खेलने का मौका मिला।----
जवाब : मेरे आदर्श तो मेरे पार्टी के राष्ट्रीय नेता ही हैं। लेकिन पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत की स्पष्टवादिता ने मुझे प्रभावित किया है। उनके राजस्थान में मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे मौके आए, जब उन्होंने अपनी बात साफगोई के साथ रखी। वे जमीन से उठकर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे।
Updated on:
27 Jul 2025 12:07 am
Published on:
27 Jul 2025 12:06 am
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