
Sikar News: अपने आराध्य के दर्शनों के लिए भरतपुर के बयाना से गुर्जर दंतपी दण्डवत रींगस पहुंचे। दोनों ने करीब 250 किमी की यात्रा दण्डवत की। इस दौरान रात को ठहरने तथा भोजन की व्यवस्था भी श्याम भरोसे रही। इसी का परिणाम रहा कि उन्हें खाने व ठहरने की व्यवस्था श्याम के इशारे पर भक्तों ने अपने घरों व होटलों में ही की। दंपती का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। रींगस पहुंचने पर दोनों ने खुशी का इजहार किया। चतर सिंह गुर्जर निवासी नागलाती घुनेनी बयाना, भरतपुर से 2 अक्टूबर को अपनी 62 वर्षीय पत्नी रूपल देवी के साथ मन की मुराद पुरी होने पर दण्डवत लखदातार की यात्रा शुरू की। उन्होंने अपने साथ एक दिन का खाना अपनी हाथ ठेला, जिस पर बाबा श्याम को विराजमान कर रखा था। दो माह दंडवत के दौरान उन्हें खाना व रहने का आश्रय श्याम भक्तों ने ही मुहैया करवाया। यहां तक की एक दिन का भोजन भी उनके साथ पैक कर रवाना किया। रहने व खाने की इस दौरान कोई कमी नहीं रही। 250 किमी की दूरी तय करने में उन्हें 2 माह का लगभग समय लगा। दोनों ने बताया कि इस दौरान उनका एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। भक्तों ने ही सारा खर्चा उठाया। चतर सिंह ने बताया कि उनके घर में सुख शांति नहीं थी। लोगों के कहने पर उन्होंने लखदातार के दरबार में हाजिरी लगाई व सुख शांति की कामना की। कुछ दिनों ही बाद सब काम पटरी पर आ गया। घर में सुख शांति होने पर उन्होंने 2 अक्टूबर से दण्डवत यात्रा शुरू की।
पति-पत्नी ने एक साथ दण्डवत यात्रा शुरू की। कभी चतर सिंह तो कभी रूपल देवी दण्डवत करती। थकने पर एक जने ने यात्रा जारी रखी। इसके पीछे-पीछे दोनों में से एक जने ने हाथ ठेले को धक्का मार कर साथ रखा। जहां पर भी दोनों को महसूस हुआ की दोनों एक साथ दण्डवत कर सकते हैं, वहीं पर दोनों ने साथ-साथ दण्डवत करना शुरू कर दिया। रींगस में दोनों दण्डवत करते पहुंचे। इस कुछ दूरी पर चतर सिंह की पत्नी रूपल ने दण्डवत यात्रा जारी रखी। रींगस श्याम गेट के आगे वापस दोनों ही दण्डवत करते नजर आए।
Updated on:
30 Nov 2024 10:35 am
Published on:
30 Nov 2024 10:34 am
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