
Earthquake in Rajasthan : पर्यावरण व पानी बचाने की हमारी नाकामी जानलेवा जोखिम तक पहुंच गई है। भूजल का अतिदोहन व पर्यावरण सुरक्षा की अनदेखी से सीकर भूकंप का केंद्र बनता जा रहा है। जिले से गुजरती अरावली पहाड़ की श्रृंखला व ट्यूबवैल के लिए जगह-जगह खुद रही जमीन भी इसकी वजह मानी जा रही है। जान के जोखिम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन साल में जिला तीन बार भूकंप का केंद्र बन चुका है। जिसमें शनिवार को आया भूकंप अब तक का सबसे तीव्र भूकंप था। इन भूकंपों से जान-माल का तो नुकसान नहीं हुआ, लेकिन प्रकृति ने चेतावनी जरूर दे दी है कि पर्यावरण व पानी नहीं बचाने पर जीवन के लिए बड़ा जोखिम बढ़ रहा है।
पर्यावरण व भू-जल से यूं जुड़ा है भूकंप
भूवैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण की अनदेखी से बारिश में कमी के साथ तापमान में बढ़ोत्तरी होती है। बारिश की कमी से भू—जल पर निर्भरता बढ़ने से जमीन में ड्रिल कर उसका दोहन बढ़ता है। इससे चट्टानों को खिसकने की जगह मिलती है। वहीं, तापमान में बढ़त व शुष्कता से जमीन की गैसें बाहर निकलने लगती है। ऐसे में भूकंप की आशंका बढ़ सकती है।
अरावली का पहाड़ व खनन वजह
सीकर में भूकंप का कारण अरावली पहाड़ी की श्रृंखला भी है। भूगोलवेत्ताओं के अनुसार पहाड़ी इलाकों में पहाड़ी दबाव से जमीन के नीचे गतिविधियां तेजी से होती है। जिसकी वजह से यहां भूकंप की संभावना भी ज्यादा होती है। खनन व ट्यूबवैल के लिए जमीन खोदा जाना भी भूकंप की एक वजह मानी जाती है।
तीन साल में लगे तीन झटके, इस बार सबसे बड़ा
सीकर पिछले तीन साल में तीन बार भूकंप का केंद्र बन चुका है। इनमें शनिवार रात को रिएक्टर स्केल पर 3.9 तीव्रता के माप वाला भूकंप अब तक का सबसे तेज गति वाला रहा। इससे पहले पांच अगस्त 2021 को 3.6 रिएक्टर स्केल का भूकंप आया था। जिसका केंद्र श्रीमाधोपुर व खंडेला के बीच बागरियावास में जमीन से पांच किमी नीचे रहा। इसके बाद 18 फरवरी 2022 को देवगढ़ में 3.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ था।
अभियान: पौधों को पेड़ बनाएं, पानी बचाए़़ं
भूकंप सहित प्रकृति के अन्य खतरों को कम करने के लिए पर्यावरण व जल संरक्षण बेहद जरूरी हो गया है। हर शख्स को पेड़ लगाने व पानी बचाने को अपना अनिवार्य कर्तव्य व कार्य समझना चाहिए। इसके लिए घरों व दफ्तरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के साथ कम से कम 10 पौधों को पेड़ बनाने का संकल्प लेकर उसे पूरा करें। तभी प्रकृति के साथ प्राणी बच सकेंगे।
भूमि के भीतर अवस्थित पानी जमीन को खिसकने से रोकता है। थोड़ी बहुत जमीन खिसकने से होने वाले कंपन को पानी अपने आप संभाल लेता है। लेकिन भूजल स्तर गिरने या पानी खत्म होने से जमीन खोखली होती है। हल्का सा कंपन भी जमीन को धंसा देता है। बढ़ता तापमान, शुष्कता, अरावली पहाड़ी इलाका व आंतरिक चट्टानों की हलचल भी सीकर को भूकंप का केंद्र बना रही है।
मुकेश निठारवाल, भूगोलवेत्ता, सीकर।
Published on:
10 Jun 2024 10:59 am
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