स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंक प्रभावित कर रही एनसीएल-एनटीपीसी सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम ने शुरू कर दी तैयारी, परियोजनाओं में बंदोबस्त नहीं ....
सिंगरौली. नगर निगम की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। कागजी दस्तावेज तैयार किए जाने के साथ पिछले सर्वेक्षण में मिली कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इन सबके बीच कंपनियों की कालोनियों से निकलने वाले कचरा निगम अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। एनसीएल और एनटीपीसी द्वारा तो यह दावा किया जा रहा है कि कॉलोनियों से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन शुरू हो गया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
कंपनियां कचरा प्रबंधन में खानापूर्ति कर कूड़ा ढेर इधर-उधर डंप किया जा रहा है। कचरा प्रबंधन को लेकर कंपनियों की यह मनमानी स्वच्छता सर्वेक्षण पर भारी पडऩे वाली है। अधिकारियों की माने तो सर्वेक्षण के लिए टीम अगले वर्ष जनवरी में आ सकती है।
कंपनियों ने ठुकराया निगम का प्रस्ताव
एनसीएल प्रबंधन की ओर से अनुबंध किया जाए तो उनकी कॉलोनियों से निकलने वाले कचरा का प्रबंधन नगर निगम द्वारा करा दिया जाएगा। निगम अधिकारियों द्वारा कंपनी के अधिकारियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन कंपनी ने यह प्रस्ताव इस दलील के साथ ठुकरा दिया कि वह खुद प्लांट स्थापित कर कचरा का प्रबंधन कराएंगे, लेकिन हकीकत में कंपनियों ने निर्धारित मानक के अनुरूप न तो कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की है और न ही कचरा प्रबंधन कराया ही जा रहा है, जो नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावती 2016 का पूर्णत: उल्लंघन है।
एक तिहाई हिस्सा प्रभावित
एनसीएल की कॉलोनियों से मोरवा जोन के वार्ड क्रमांक 4, 5, 6 व 10 प्रभावित हैं। इसके अलावा बैढऩ जोन के वार्ड क्रमांक 12 से लेकर 18 तक को एनसीएल की कॉलोनियां प्रभावित कर रही हैं। इन वार्डों से निकलने वाले कचरा का निर्धारित मानक के अनुरूप प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। इस असर पूर्व में स्वच्छता सर्वेक्षण में स्पष्ट रूप से देखने को मिला है। अगले सर्वेक्षण में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। इसी प्रकार एनटीपीसी विंध्याचल वार्ड क्रमांक 34 व 35 को प्रभावित कर रहा है। गौरतलब है कि सर्वेक्षण में कचरा प्रबंधन पर 100 प्वाइंट निर्धारित है। सर्वेक्षण की शुरुआत से लेकर अब तक अधिकतम 90 फीसदी अंक मिले हैं। जबकि कॉलोनियों में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था हो जाए तो यह अंक 98 फीसदी तक पहुंच जाएंगे।
कचरा खाकर मवेशी तोड़ रहे दम
- हर रोज 30 से 35 मवेशी शहर में दमतोड़ रहे हैं, वजह कचरा
- इधर-उधर डंप हो रहे कचरा को खाने के बाद बीमार हो रहे मवेशी
- कॉलोनी के बाहर फेंके गए कचरा की बदबू से दूसरे रहवासी परेशान
- ननि क्षेत्र के घरों तक उड़ कर पहुंच रही पॉलीथिन सहित अन्य गंदगी
- कचरा की बदबू से राहगीर भी हैं परेशान, कई बार कर चुके शिकायत
अब तक की रैंक
वर्ष 2022 में 24 वीं रैंक
(1 से 10 लाख की आबादी में)
वर्ष 2021 में 16 वीं रैंक
(1 से 10 लाख की आबादी में)
वर्ष 2020 में 15 वीं रैंक
(3 से 10 लाख आबादी में)
वर्ष 2019 में 21 वीं रैंक
वर्ष 2018 में 23 वीं रैंक
वर्ष 2017 में 51 वीं रैंक
फैक्ट फाइल -
55 हजार घर शहर में स्थित
2.72 लाख शहर की आबादी
12 हजार घर कंपनियों की कालोनी में
58 हजार कॉलोनियों में आबादी
110 टन कचरा पूरे शहर से निकल रहा
35 टन कचरा हर रोज एनसीएल से निकल रहा
15 टन कचरा हर रोज एनटीपीसी से निकल रहा