
कॉलोनी बसाने के बाद सुविधाएं देना भूले, मूलभूत सुविधाओं को तरसते भूखंडधारक
दर्शन शर्मा/ आबूरोड. शहर समेत आसपास के इलाकों में कई नई कॉलोनियां बस रही है, लेकिन इन कॉलोनियों में भूखंड खरीदने वालों को पुख्ता सुविधा देने के प्रावधान होने के बावजूद कई कॉलोनाइजर बिना आवश्यक सुविधाओं के ही कॉलोनी काटकर भूखंड विक्रय कर देते हैं। ऐसे में भूखंड खरीदने वाले लोगों को बाद में आवश्यक सुविधाओं के लिए नगरपालिका, यूआईटी व ग्राम पंचायतों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। पिछले कुछ वर्षों से तहसील क्षेत्र में नई कॉलोनियां काटने वाले कॉलोनाइजरों की बाढ़ सी आ गई है। कम दरों पर भूखंड विक्रय के लालच में लोग भी यहां भूखंड तो खरीद लेते हैं, लेकिन सडक़, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव में परेशानी का सामना करना पड़ता है। बाद में भूखंड खरीदारों को इन सुविधाओं के लिए विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। शहरी क्षेत्र के अलावा उमरणी, तलहटी, रेवदर रोड, अम्बाजी रोड, फोरलेन के आसपास कई स्थानों पर कॉलोनाइजर आवासीय कॉलोनियां काट रहे हैं। सस्ते व कम दाम के चक्कर में लोग बहकावे में आकर कॉलोनाइजर को लाखों रुपए अदा कर भूखंड तो खरीद लेते हैं, लेकिन बात जब इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं की आती है। तब मौके पर कोई सुविधा नहीं मिलती है। कई कॉलोनियों में तो अब तक रोड-नालियां तक नहीं बनाई गई हैं। जहां रोड व नालियां बनी है तो उनकी देखरेख नहीं होने से आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कृषि भूमि में भूखंड खरीदने वाले लोगों को बाद में बिजली के कनेक्शन के लिए डिस्कॉम में हजारों रुपए की डिमांड राशि जमा करवानी पड़ती है। अपने पट्टे शुदा प्लॉट पर बिजली कनेक्शन के लिए डिस्कॉम की ओर से उसे हजारों रुपए का डिमांड नोटिस थमाया जाता है, जबकि भूखंड खरीदने से पहले अगर कॉलोनाइजर निगम और जलदाय विभाग में आवेदन कर कॉलोनी में संबंधित नेटवर्क डवलप शुल्क अदा करता तो भूखंड खरीदारों को यहीं घरेलू बिजली कनेक्शन सामान्य दर पर मिल जाता है।
सुविधाएं प्रदान करने के बाद ही मिलती है 12.5 प्रतिशत भूमि
नगर निकाय में किसी भी भूमि के लिए 90-ए की कार्रवाई मास्टर प्लान के अनुसार ही की जा सकती है। शहरी क्षेत्र में कृषि भूमि पर बिना 90-ए के भूखंड नहीं बेचे जा सकते हैं। इसकी जिम्मेदारी नगर पालिका की होती है। कॉलोनाइजर कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करने के दौरान उस भूमि में सडक़, सीवरेज, बिजली व पानी समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का नियम है। ऐसा नहीं होने तक उस कृषि भूमि का 12.5 प्रतिशत हिस्सा सम्बंधित नगर निकाय या यूआईटी के अधीन रहता है। भूखंड धारकों के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के बाद इंजीनियर के सर्वे करने के बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। इसके बाद ही प्रशासन की ओर से इस 12.5 प्रतिशत हिस्से को रिलीज करती है।
गत वर्ष में 8 कॉलोनियों का हुआ अनुमोदन
यूआईटी आबू क्षेत्र की बात करें तो यहां यूआईटी की स्थापना से अब तक 63 कॉलोनियां बस चुकी है। केवल गत वर्ष 2020 में ही यहां 8 कॉलोनियों का अनुमोदन हुआ है। नियमानुसार प्रशासन से अनुमोदन के बाद 2 हैक्टेयर भूमि में 18 माह व 2 हैक्टेयर से अधिक भूमि में 36 माह में सम्बंधित कॉलोनाइजर को सुविधाएं उपलब्ध करवानी होती है। एक बार सुविधा उपलब्ध करवाने के बाद इसकी देखरेख की जिम्मेदारी सम्बंधित कॉलोनी की संचालक कमेटी की होती है। ये कमेटी भूखंड धारकों से रखरखाव व मरम्मत शुल्क वसूल कर इन मूलभूत सुविधाओं की देखरेख करती है।
हरियाली व पार्क के नाम पर खानापूर्ति
नियम कायदे तो कॉलोनियों के लिए बने हैं, लेकिन इनकी पालना कई कॉलोनाइजर नहीं कर रहे हैं। नियमानुसार कॉलोनी बसाने के बाद यहां हरियाली या पार्क की व्यवस्था करना भी अनिवार्य है, लेकिन तहसील क्षेत्र में बसी 60-70 फीसदी कॉलोनियों में पार्क नदारद है। कई स्थानों पर केवल 12.5 प्रतिशत भूमि लेने के चक्कर में पार्क के लिए भूखंड छोडकऱ तो कई स्थानों पर झूले आदि लगाकर खानापूर्ति कर दी गई। सांतपुर, अम्बाजी मार्ग, रेवदर मार्ग, तलहटी, शांतिवन-पांडूरी मार्ग पर बसी कई कॉलोनियों में मकान बन गए हैं, लेकिन अब तक यहां नालियों जैसी मूलभूत सुविधाएं नजर नहीं आ रही है।
आमजन में भी जागरूकता का अभाव
आमजन जागरूकता के अभाव में सस्ते भूखंड के चक्कर में मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। जानकारों के अनुसार भूखंड खरीदते समय कॉलोनी में कॉलोनाइजर की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं की पूरी जानकारी लेनी चाहिए। वहीं डिस्कॉम व पेयजल कनेक्शन के लिए भी कॉलोनाइजर से जानकारी लेने के बाद ही भूखंड खरीदना चाहिए।
इन्होंने बताया ...
कॉलोनी काटते समय यूआईटी से अनुमोदित होने के बाद कॉलोनाइजर को निर्धारित अवधि में सडक़ों, नालियों आदि सुविधाएं भूखंड धारकों को प्रदान करनी होती है। जब तक ये सुविधाएं कॉलोनी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है, यूआईटी कॉलोनी के रोके गए 12.5 प्रतिशत भूखंडों के पट्टे जारी नहीं करती है। एक बार ये सुविधा प्रदान करने के बाद रखरखाव की जिम्मेदारी कॉलोनी की कमेटी की होती है। यदि किसी कॉलोनाइजर ने सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई है, तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- कुशलकुमार कोठारी, सचिव, यूआईटी आबू
Updated on:
03 Jan 2021 03:29 pm
Published on:
03 Jan 2021 03:24 pm
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