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जज्बे को सलाम : किताबों को बनाया मित्र, जिले में प्रथम रैंक व राज्य में 30वीं रैंक के साथ व्याख्याता बने प्रशांत

सिरोही. मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे। कुछ ऐसा ही करिश्मा सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा तहसील के वासा गांव के प्रशांत माली पुत्र वीसाराम माली ने किया है।

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जज्बे को सलाम : किताबों को बनाया मित्र, जिले में प्रथम रैंक व राज्य में 30वीं रैंक के साथ व्याख्याता बने प्रशांत

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सिरोही. मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे। कुछ ऐसा ही करिश्मा सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा तहसील के वासा गांव के प्रशांत माली पुत्र वीसाराम माली ने किया है। उनकी संघर्ष भरी कहानी का हर कोई कायल है। उन्होंने मुम्बई की भागदौड़ भरी जिंदगी में पुस्तक हमेशा साथ रखते हुए लोकल ट्रेन में जब भी समय मिला, उसका सदुपयोग किया।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की व्याख्याता भर्ती परीक्षा-2018 में राजनीति विज्ञान विषय से राज्य स्तरीय वरीयता सूची में 30वीं रैंक एवं सिरोही जिले में प्रथम रैंक से अंतिम रूप से चयनित हुए वासा निवासी प्रशांत माली पुत्र वीसाराम माली की मेहनत युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है।

कठिन परिस्थितियों में नहीं मानी हार
प्रशांत ने बचपन से ही विषम आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद लक्ष्य हासिल करने के लिए संघर्ष जारी रखा। रोहिड़ा से 12वीं कक्षा टॉप करने के बाद सिरोही महाविद्यालय से 2005 में स्नातक कला वर्ग से उत्तीर्ण की। इसी दौरान पार्ट टाइम जॉब भी किया। बाद में विषम आर्थिक परिस्थितियों के कारण नौकरी के लिए मुम्बई चले गए। मुम्बई में 2006 से 2012 तक प्राइवेट नौकरी करते हुए शिक्षा स्नातक की उपाधि अर्जित की। कड़ी मेहनत की बदौलत 2012 की तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा में 32वीं रैंक से चयन हुआ। उनका कहना है कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पानिया में सेवा देते हुए बिना किसी कोचिंग दो बार आरएएस मेन्स परीक्षा दी। पांच बार नेट परीक्षा क्वॉलीफाई की। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर में सहायक प्रोफेसर पद पर साक्षात्कार के लिए लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चयनित हुए। माली श्रेष्ठ शिक्षक के साथ बीएलओ के रूप में माउंट आबू एसडीएम से सम्मानित हो चुके हैं।

विफलता से सीख ली
माली बताते हैं कि व्याख्याता भर्ती परीक्षा-2015 में मात्र 2.8 0 अंकों से चूकने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघर्ष जारी रखा। सफलता के मूल मंत्र लक्ष्य तय करना, योजना क्रियान्वयन, धैर्य, परिश्रम अपनाए। वे सफलता का श्रेय भगवान, माता-पिता, गुरुजनों एवं मित्रों को देते हैं।