6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

परम्परागत खेती से हटकर बागवानी की तरफ बढ़ रहे किसान

परम्परागत खेती से हटकर किसान बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कम समय में मोटा मुनाफा माना जा रहा है। इन दिनों भरतपुर के आसपास बल्लभगढ़, निठार, मैनापुरा, कल्लाका गोला, बंध का नगला, इटामदा, दयापुर, सैंधली, वैर, चेंटोली दीवली आदि क्षेत्रों में पपीते की खेती की जा रही है।

2 min read
Google source verification

image

Kanchan Arora

Mar 30, 2024

परम्परागत खेती से हटकर बागवानी की तरफ बढ़ रहे किसान

परम्परागत खेती से हटकर बागवानी की तरफ बढ़ रहे किसान

अकेले भुसावर में 15 से 20 बीघा भूमि पर पपीते के बागान नजर आ रहे हैं। किसान देवी सिंह सैनी ने बताया, इसमें कम खर्च एवं कम मेहनत में अच्छी कमाई के अवसर मिल रहे हैं। यहां का पपीता लाल रंग का और मीठा होने की वजह से दिल्ली, जयपुर, आगरा, लखनऊ, गोरखपुर व मध्यप्रदेश तक जाता है।
मेड़ बनाकर करें खेती
ऊंचाई पर मेड़ बनाकर पपीते की खेती करनी चाहिए। पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है। एक हेक्टेयर में लगभग 500 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। जब तक पौधे अच्छी तरह पनप न जाएं, तब तक रोजाना दोपहर बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। फल के शीर्ष भाग में पीलापन शुरू हो जाए तब डंठल सहित तुड़ाई करनी चाहिए। प्रति पेड़ लगभग 40 किलो उत्पादन मिल जाता है। 40 से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो जाती है। इस तरह प्रति हेक्टेयर आठ से 10 लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है।
उच्च गुणवत्ता का फलोत्पादन
फसल को रोगों से बचाने के लिए नीम के तेल में 0.5 मिली प्रति लीटर स्टीकर मिलाकर एक-एक महीने के अंतर पर छिड़काव करें। इससे पौधों को जैविक सुरक्षा मिलती है। उच्च गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों का छिड़काव भी करना चाहिए।
&पपीते की पांच ऐसी किस्में होती हैं, जिनसे अच्छी मात्रा में उत्पादन और मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। वह किस्में हैं, पूसा जायंट, अर्का प्रभात, सूर्या, पूसा डिलिशियस, पूसा ड्वार्फ।
- डॉ. उदयभान सिंह, हॉर्टिकल्चर विभाग
&क्षेत्र में ज्यादातर सूर्या और पूसा डिलिशियस किस्मों के पपीतों की खेती की जा रही है। यह पीले व लाल होने के साथ ही मीठे भी होते हैं। इनका वजन दो से तीन किलो तक होता है। इसके लिए 6.5-7.5 पीएच वाली हल्की दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्र्त होती है। जल निकास का उचित प्रबंध होना आवश्यक है। ऊंची जमीन का चयन करें अथवा मेड़ बनाकर खेती करें।
- डॉ. जितेंद्र मीना, हॉर्टिकल्चर विभाग

- मोहन जोशी