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अस्थाई परमिट से सडक़ पर दौड़ रही थीं बसें, स्थाई परमिट देने डिप्टी टीसी ही नहीं, तीन गुना टैक्स भर रहे बस संचालक

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 80 से अधिक बसों का संचालन बंद

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शहडोल. पांच वर्ष के स्थाई परमिट की बजाय बस संचालक एक-एक महीने की अस्थाई परमिट लेकर पिछले कई वर्षों से बसों का संचालन कर रहे थे। अस्थाई परमिट पर रोक लगाने दायर याचिका पर हाईकोर्ट के निर्णय के बाद जिला मुख्यालय से अस्थाई परमिट पर दौडऩे वाली बसों के पहिए थम गए हैं। बस संचालक अब तीन गुना टैक्स देकर रिजर्व पार्टी या फिर मैरिज पार्टी के नाम पर बसों का संचालन कर रहे हैं। वहीं कुछ बस संचालकों ने पूरी तरह से बसें खड़ी कर दी हैं। इनमें सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाली बसें शामिल हैं। इससे ग्रामीणों को असुविधा का सामना भी करना पड़ रहा है। बस संचालकों का कहना है कि स्थाई परमिट के लिए दो वर्ष से डिप्टी टीसी ही नहीं है। ऐसे में आवेदन करने के बाद भी उन्हें स्थाई परमिट नहीं मिल पा रहा है।

80 से अधिक बसों के पहिए थमे
हाईकोर्ट से जारी आदेश के बाद अस्थाई परमिट पर दौडऩे वाली 80 से अधिक बसों के पहिए थम गए हैं। इनमें से अधिकांश बसें छोटे-छोटे रूट की है। अब जब बसों का संचालन बंद हो गया है तो कहीं न कहीं ग्रामीणों को असुविधा हो रही है। वहीं बस संचालक तीन गुना टैक्स जमा कर रिजर्व पार्टी, मैरिज पार्टी की परमिट से बसों का संचालन करने विवश है। वहीं कुछ बस संचालकों ने पूरी तरह से बसें खड़ी कर दी है।

स्थाई परमिट वाली बसों को नुकसान
अस्थाई परमिट लेकर सडक़ पर दौड़ रही बसों की बदौलत स्थाई परमिट वाली बसों के संचालन में परेशानी हो रही थी। इन स्थाई बसों के आगे पीछे की अस्थाई परमिट जारी होने से बस संचालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था। बस संचालक जिस रूट में नुकसान होता था उसे अगले माह बदलकर नए रूट की परमिट ले लेते थे। इससे स्थाई परमिट के बसों का संचालन प्रभावित हो रहा था।

टीपी के लिए भरना पड़ रहा ज्यादा टैक्स
जानकारों की माने तो रिजर्व व मैरिज पार्टी के साथ अन्य टीपी में बस संचालकों को तीन गुना से टैक्स जमा करना पड़ता है। टीपी के लिए प्रति सीट 12 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से व 750 रुपए शुल्क जमा करना पड़ता है। टीपी सिर्फ एक सप्ताह के लिए जारी होती है। इसके बाद बस संचालकों को फिर से शुल्क जमा करना पड़ता है। वहीं अस्थाई व स्थाई परमिट के लिए प्रति किलोमीटर के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है और इसमें स्पेयर टैक्स भी जुड़ा रहता है।

डिप्टी टीसी ही जारी कर सकते हैं परमिट
बसों के संचालन के लिए स्थाई परमिट डिप्टी टीसी ही जारी कर सकते हैं। छह संभागों के बीच एक डिप्टी टीसी की पदस्थापना होती है। दो वर्ष से डिप्टी टीसी का पद खाली होने की वजह से बस संचालकों को स्थाई परमिट नहीं मिल पा रही है। ऐसे में बस संचालक स्थानीय स्तर पर अस्थाई परमिट लेकर बसों का संचालन कर रहे थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब उस पर भी रोक लग गई है।

पांच वर्ष नहीं कर सकते कोई फेरबदल
बस संचालकों का स्थाई परमिट न लेने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि पांच वर्ष तक वह किसी भी प्रकार का फेर बदल नहीं कर सकते। स्थाई परमिट जारी होने के बाद न तो टाइम टेबल में कोई बदलाव हो सकता है और न ही परमिट निरस्त कर सकते हैं। वहीं अस्थाई परमिट महज एक-एक माह के लिए जारी होता है। किसी भी रूट में नुकसान होने पर बस संचालक अगले माह बड़ी आसानी से रूट में टाइम टेबल बदल कर नए रूट की परमिट ले सकता है।

इनका कहना है
न्यायालय से जारी आदेश के बाद अस्थाई परमिट वाली बसों का संचालन बंद करा दिया गया है। स्थाई परमिट डिप्टी टीसी के माध्यम से ही जारी होते हैं।
आशुतोष भदौरिया, प्रभारी परिवहन अधिकारी शहडोल