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अभिनेत्री नहीं डाक्टर बनना चाहती थीं पूनम ढिल्लो

पूनम के सौन्दर्य से प्रभावित होकर निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने अपनी फिल्म 'त्रिशूल' में उनसे काम करने की पेशकश की

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Jameel Ahmed Khan

Apr 18, 2016

Poonam Dhillon

Poonam Dhillon

मुम्बई। बॉलीवुड में पूनम ढिल्लों ने अपनी दिलकश अदाओं से लगभग तीन दशक तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, लेकिन कम लोगों को पता है कि वह डॉक्टर बनना चाहती थीं। पूनम ढिल्लो का जन्म 18 अपे्रल, 1962 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता अमरीक सिंह भारतीय वायु सेना में विमान अभियंता थे। पूनम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ कार्मेल कान्वेंट हाई स्कूल से पूरी की।

वर्ष 1977 में पूनम ढिल्लो को अखिल भारतीय सौन्दर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का अवसर मिला जिसमें वह पहले स्थान पर रही। इस बीच पूनम के सौन्दर्य से प्रभावित होकर निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने अपनी फिल्म 'त्रिशूल' में उनसे काम करने की पेशकश की, लेकिन पहले तो उन्होंने इस पेशकश को अस्वीकार कर दिया, लेकिन बाद में पंजाब यूनिवर्सिटी में कार्यरत उनके पारिवारिक मित्र गार्गी ने उन्हें समझाया कि फिल्मों में काम करना कोई बुरी बात नहीं है। इसके बाद पूनम के परिजनों ने उन्हें इस शर्त पर फिल्मों में काम करने की इजाजत दी कि वह स्कूल की छुट्टियों के दौरान ही फिल्मों में अभिनय करेंगी।

'त्रिशूलÓ में पूनम ढिल्लो को संजीव कुमार, शशि कपूर और अमिताभ बच्चन जैसे नामचीन सितारों के साथ काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने संजीव कुमार की पुत्री की भूमिका निभाई जो अभिनेता सचिन से प्रेम करती है। फिल्म में उनपर फिल्माया गीत 'गप्पूजी गप्पूजी गम गम' का उन दिनों युवाओं के बीच क्रेज बन गया था। 'त्रिशूलÓ टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।

इसके बाद कई फिल्मकारों ने पूनम ढिल्लों से फिल्म में काम करने की पेशकश की, लेकिन उन्होंने उन सारे प्रस्तावों को ठुकरा दिया क्योंकि वह अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थीं। इस बीच, उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना चाहा, लेकिन उनके बड़े भाई ने उन्हें हतोत्साहित कर दिया। इसके बाद उनकी तमन्ना भारतीय विदेश सेवा में काम करने की हो गई और वह परीक्षा की तैयारी में जुट गईं।

वर्ष 1979 में यश चोपड़ा के ही बैनर तले बनी फिल्म 'नूरी' में उन्हें काम करने का अवसर मिला। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने न सिर्फ उन्हें बल्कि अभिनेता फारूख शेख को भी 'स्टार' के रूप में स्थापित कर दिया। फिल्म में लता मंगेशकर की आवाज में 'आजा रे आजा रे मेरे दिलबर आजा गीत' आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। 'नूरी' की सफलता के बाद पूनम ने निश्चय किया कि वह फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाएंगी।

इसके बाद उन्हें राजेश खन्ना के साथ 'रेड रोज', जितेन्द्र के साथ 'निशाना' और राजकपूर के बैनर तले बनी फिल्म 'बीबी और बीबी' में काम करने का अवसर मिला, लेकिन दुर्भाग्य से सभी फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुईं। इन फिल्मों की असफलता से पूनम को अपना कैरियर डूबता नजर आया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना संघर्ष जारी रखा।

इस बीच उन्हें राजेश खन्ना के साथ फिल्म 'दर्द' और कुमार गौरव के साथ फिल्म 'तेरी कसम' में काम करने का अवसर मिला। इन फिल्मों की सफलता के बाद वह अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो गई। वर्ष 1988 में उन्होंने निर्माता अशोक ठकारिया के साथ शादी कर ली। अशोक ठकारिया ने 'दिल', 'बेटा', 'राजा', 'मस्ती' और 'मन'जैसी कई कामयाब फिल्मों का निर्माण किया है। इसके बाद पूनम ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया।

वर्ष 1992 में प्रदर्शित फिल्म 'विरोधी' के बाद उन्होंने लगभग पांच वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म 'जुदाई' से उन्होंने अपने कैरियर की दूसरी पारी शुरू की। वर्ष 1995 में उन्होंने दर्शको की पसंद को देखते हुए छोटे पर्दे का भी रूख किया और 'अंदाज' और 'किटी पार्टी' जैसे धारावाहिकों में काम करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन सबके साथ ही 'बिगबॉस' के तीसरे सीजन में उन्होंने हिस्सा लिया जिसमें वह तीसरे स्थान पर चुनी गईं।

फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद वह सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी लेने लगी। उन्होंने शराब विमुक्ति, एड्स और परिवार नियोजन जैसे कई सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर समाज को जागरुक करने का प्रयास किया है। इस बीच उन्होंने अपनी मेकअप वैन कंपनी 'वैनिटी' की स्थापना की जो फिल्म इंडस्ट्री में कलाकारों को उनके मेकअप की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराती है। उन्होंने लगभग 70 फिल्मों में काम किया है।

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