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कचरे से बिजली: 1000 टन कचरे से हर दिन 15 मेगावाट बिजली का सपना

Waste-to-energy: ,हर दिन 1000 टन कचरे से 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना न केवल स्वच्छता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का समाधान भी है।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Dec 06, 2024

जयपुर । जयपुर हैरिटेज निगम का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, कचरे से बिजली बनाने की पहल, अब जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है। इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है, और यह भारत के ऊर्जा और स्वच्छता क्षेत्र में नई क्रांति लाने का दावा कर रहा है।

192 करोड़ की फंडिंग और 350 करोड़ का निवेश

इस प्रोजेक्ट को संचालित करने की जिम्मेदारी जिंदल अर्बन वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को सौंपी गई है। जिंदल ग्रुप इस प्रोजेक्ट में लगभग 350 करोड़ रुपए का भारी निवेश करेगा। इसके साथ ही, भारत सरकार के उपक्रम पावर फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट के लिए 192 करोड़ रुपए की ऋण सुविधा उपलब्ध कराई है। यह फंडिंग सुनिश्चित करती है कि प्रोजेक्ट बिना किसी बाधा के जल्द ही कार्यान्वित होगा।

रोजाना 1000 टन कचरे का इस्तेमाल

इस परियोजना के तहत, हैरिटेज निगम हर दिन 1000 टन कचरा उपलब्ध कराएगा। यह कचरा बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जाएगा। प्रोजेक्ट की योजना के अनुसार, प्रतिदिन 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसके साथ ही, निगम को 66 रुपए प्रति टन की रॉयल्टी और प्रतिमाह 20 लाख रुपए का राजस्व भी मिलेगा।

कचरे में छिपी करोड़ों की ऊर्जा

कचरे से बिजली बनाने का यह प्रोजेक्ट सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। निगम का दावा है कि यह पहल शहर के स्वच्छता मानकों को बेहतर बनाएगी और कचरे की समस्या से निजात दिलाएगी। साथ ही, बिजली उत्पादन से ऊर्जा संकट का समाधान भी होगा।

बदलाव की ओर बढ़ते कदम

निगम मुख्यालय में हुए एमओयू साइनिंग इवेंट में निगम आयुक्त अरुण कुमार हसीजा, जिंदल ग्रुप और पावर फाइनेंस कार्पोरेशन के अधिकारियों ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट शहर के लिए ऊर्जा उत्पादन और स्वच्छता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

आखिरकार, कचरे से उम्मीद की किरण

इस परियोजना की शुरुआत एक महत्वपूर्ण सवाल के साथ हुई थी: क्या हम कचरे को महज एक समस्या की तरह देखने के बजाय उसे संसाधन में बदल सकते हैं? अब इस प्रोजेक्ट ने यह साबित कर दिया है कि सही दृष्टिकोण और तकनीक के साथ ऐसा संभव है।

हर दिन 1000 टन कचरे से 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना न केवल स्वच्छता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का समाधान भी है। आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट अन्य शहरों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकता है।