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“चना” फसल, बम्पर उत्पादन होने की उम्मीद

gram crop: अगर चना की फसल की देखभाल सिर्फ एक, चैत्र मास में ही सही तरीके से की जाये तो चने की फसल अच्छी पैदावार दे सकती है

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"चना" फसल, बम्पर उत्पादन होने की उम्मीद

"चना" फसल, बम्पर उत्पादन होने की उम्मीद

'चणा चेत घणा'

मोरजंड खारी.

रबी की मुख्य फसल चना के सम्बंध में एक प्रचलित पुरानी राजस्थानी कहावत है, 'चणा चेत घणा' जो लम्बे समय के बाद इस बार सच होने जा रही है । इस पौराणिक कहावत के अनुसार, अगर चना की फसल की देखभाल सिर्फ एक, चैत्र मास में ही सही तरीके से की जाये तो चने की फसल अच्छी पैदावार दे सकती है ।

इस बार समय पर हुई शीतकालीन मावठ की पर्याप्त बारिश के कारण चना की फसल लहलहा रही है । अगर आने वाले समय में भी मौसम अनुकूल रहा तो चना की बम्पर पैदावार होने की उम्मीद की जा सकती है । चना की लहलहाती फसल को देखकर किसानों के चेहरे भी खिले हुए है । लेकिन यह समय चने की फसल के लिए किसानों को ज्यादा संवेदनशील रहने का है । क्योंकि अब चने की फसल के पकाव का समय है इस समय चने की फसल पर अमेरिकन सुंडी, झुलसा रोग जैसे कीटों व अन्य रोगों का प्रभाव हो सकता है और जो अब कहीं-कहीं दिखाई भी देने लगा है ।

-झुलसा रोग बढ़ा सकता है किसानों की परेशानी

चक केरा के किसानों ने बताया कि चना की फसल इस बार अच्छी है समय पर हुई पर्याप्त बारिश के कारण सिंचाई की आवश्यकता भी कम रही । लेकिन इन दिनों हो रहे मौसम में लगातार परिवर्तन व बेमौसम बारिश के कारण कुछ खेतों में 'झुलसा रोग' (एस्कोकाइट) का प्रभाव देखा जा सकता है । इस रोग के कारण पौधे की शाखाएं व पत्ते भूरे हो जाते है प्रकोप बढ़ने पर तने व डंठल सूखकर टूट जाते है।

अमेरीकन सुंडी व कीड़े की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है । अगर आने वाले समय में मौसम अनुकूल रहा तो चने की पैदावार किसानों के लिए पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक लाभकारी सिद्ध होगी ।

किसान हरविंदर सिंह ने बताया कि इस बार चने की फसल अच्छी है ज्यादा नमी वाले खेत में झुलसा रोग का प्रकोप है जिसके उपचार के लिए दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है ।

- चने की फसल इस बार अच्छी है, लेकिन इस समय की बेमौसम बरसात, अत्यधिक नमी व ज्यादा सघनता के कारण सूर्य का प्रकाश व हवा पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण कुछ खेतों में झुलसा रोग का प्रकोप देखा जा सकता है इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोथेलोनिल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में या मेंकोजेब 0.2 प्रतिशत या आवर ऑक्सिक्लोराइड 0.3 प्रतिशत या घुलनशील गन्दक 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर किसी एक दवा का छिड़काव करें । इस रोग के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी किसानों को दी गई है आवश्यकता पड़ने पर पुनः दस दिनों बाद साफ मौसम में छिड़काव करें ।...........................-रामकुमार बिश्नोई, कृषि पर्यवेक्षक, लालगढ़ जाटान