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अधिकारियों ने अब झाड़ा पल्ला, पुलिस प्रशासन की गुडबुक में था एसआई घुक्कर सिंह

घमूडवाली थाना प्रभारी घुक्कर सिंह पुलिस प्रशासन की गुडबुक में था। बेहतर कार्यों का दावा करने पर पुलिस लाइन में कई बार मासिक प्रोत्साहन पुलिस अधिकारी के रूप में सम्मानित हो चुके इस थाना प्रभारी की तारीफें पुलिस अधीक्षक तक ने की थी।

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शराब के ठेके बिना परेशानी के संचालित कराने के एवज में दस हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार आरोपित घमूडवाली थाना प्रभारी घुक्कर सिंह पुलिस प्रशासन की गुडबुक में था। बेहतर कार्यों का दावा करने पर पुलिस लाइन में कई बार मासिक प्रोत्साहन पुलिस अधिकारी के रूप में सम्मानित हो चुके इस थाना प्रभारी की तारीफें पुलिस अधीक्षक तक ने की थी। यहां तक कि इससे प्रेरित होने की सीख भी दी गई थी।



लेकिन, रिश्वत के आरोप में गिरफ्तारी के बाद अधिकारी उससे संपर्क करने के पहलू से पल्ला झाडऩे लगे हैं। पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी का कहना था कि अनुसंधान और जनहित कार्य के लिए पुलिसकर्मी को प्रोत्साहित करने के लिए हर माह सम्मानित किया जाता है, एेसे में एसएचओ घूक्कर सिंह को भी यह सम्मान दिया गया लेकिन उसे रिश्वत मांगने की छूट नहीं दी।



घमूड़वाली थाना प्रभारी घुक्कर सिंह भी अन्य गिने-चुने थाना प्रभारियों की तरह करीब-करीब हर एक या दो माह में सम्मानित होता रहता था। शिकायतकर्ता ने एसीबी टीम को घूक्कर सिंह के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा दिया। इस शिकायकर्ता का कहना था कि थाना प्रभारी इलाके में अपना कानून चलाता था। शराब ठेके से मंथली नहीं देने पर खुद ठेके पर पहुंचता, नहीं देने पर झूठे केस दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए धमकाता था।



इसकी शिकायत पुलिस के उच्चाधिकारियों के पास पहुंचाई गई लेकिन अधिकारी शिकायत सुनने को तैयार नहीं थे। घमूड़वाली थाना क्षेत्र के कई ग्रामीणेां में एसएचओ के खिलाफ गुस्सा इस कदर था कि उन्होंने एसीबी बीकानेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रजनीश पूनिया का सार्वजनिक रूप से माला पहनाकर और गुलदस्ते देकर स्वागत किया था।



क्या जेल में शांति व्यवस्था बिगडऩे का था खतरा

रिश्वत लेते पकड़े गए घमूड़वाली थाना प्रभारी घुक्कर सिंह व आबकारी निरीक्षक सुभाष गोदारा को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो बीकानेर की टीम ने अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। यहां केन्द्रीय कारागार में इन दोनों अधिकारियों ने अपनी जान का खतरा बताते हुए जेल अधीक्षक से हनुमानगढ़ शिफ्ट की गुहार लगाई थी। एसएचओ ने अपनी डयूटी के दौरान कई एेसे अपराधियो को पकड़ा था जो मादक पदार्थो की तस्करी में संलिप्त थे।



एेसे में आरोपित एसएचओ को यह आंशका होने लगी कि जेल में एेसे बंदी उस पर हमला कर सकते है। जेल मैनुअल के मुताबिक झगड़े की आंशका होने पर जेल अधीक्षक संबंधित बंदी को अन्य जेल में शिफ्ट कर सकते है। जेल अधीक्षक राजपाल सिंह ने बताया कि जेल के अंदर से झगड़े करने जैसी नौबत आने पर उनको सूचना मिली। इस पर दोनों आरोपितों को हनुमानगढ़ शिफ्ट कर दिया गया है।



रुतबे के आगे नियमों को खंगाला

आरोपित एसएसओ को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के दौरान गुस्साए कई ग्रामीणों ने कमेंट किए थे। तब इस आरोपित को भय लगने लगा कि कहीं जेल कैम्पस में उसके साथ अप्रिय घटना हो सकती है। अपने सलाहकारों और अधिकारियों से यहां केन्द्रीय कारागार के बजाय अन्यत्र जगह शिफ्ट करने की गुहार लगाई।



रुतबे के आगे जेल प्रशासन ने भी नियमों की किताब खोली ली। नियमानुसार झगड़े की आंशका पर बंदियों को शिफ्ट किया जा सकता है, यह नियम आरोपित के काम आया। इस आरोपित के साथ साथ आबकारी निरीक्षक को भी यहां से शिफ्ट कर हनुमानगढ़ जेल में कर दिया।


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