7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

फाइलों में बंद होकर रह गए फैसले

- रविन्द्र पथ और गोशाला रोड पर स्पीड ब्रेकर के साथ अन्य कई निर्णयों की नहीं हो रही पालना  

2 min read
Google source verification
file photo

file photo

श्रीगंगानगर.

जिला स्तरीय यातायात सलाहकार समिति की बैठक में लम्बे समय से लिए जा रहे फैसले फाइलों में बंद होकर रह गए हैं। इससे सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। दो माह पूर्व लिए गए निर्णयों के लागू होने से पहले ही समिति के सदस्य सचिव जिला परिवहन अधिकारी और नोडल अधिकारी एडीएम सिटी भी तब्दील हो गए। 14 जून को हुई जिला स्तरीय यातायात सलाहकार समिति की बैठक में जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में रविन्द्र पथ और गोशाला रोड पर ब्लॉक एरिया व इन्दिरा कॉलोनी से आने वाली मुख्य सड़कों पर 20 स्पीड ब्रेकर बनाने का फैसला लिया गया था।

इस संबंध में ट्रैफिक पुलिस के प्रभारी कुलदीप चारण ने कलक्टर ज्ञानाराम के निर्देश पर स्पीड ब्रेकरों के लिए स्थान चिन्हित कर अपनी रिपोर्ट जिला परिवहन अधिकारी और कलक्टर को सौंप दी। इसी तरह ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के लिए मुख्य चौराहों पर गुमटियों का निर्माण किए जाने का फैसला भी फाइल में बन कर रह गया। ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को धूप और बरसात से बचाने के लिए इन गुमटियों का निर्माण करवाया जाना है।


शहर में मुख्य सड़कों के किनारे खड़ी रहने वाली कारों की समस्या से निजात के लिए गोल बाजार एरिया में स्थाई पार्किंग का निर्माण करवाने का प्रस्ताव भी ठण्डे बस्ते के हवाले हो गया है। शिव चौक से हॉस्पीटल तक रेता-बजरी के व्यवसाय पर अंकुश के लिए बनाया गया प्रस्ताव भी सिरे नहीं चढ़ पाया और तो और बसों विशेषकर राजस्थान रोडवेज की बसों के जस्सा सिंह मार्ग (मिनी बाइपास) से होकर आने-जाने का फैसला भी अधर में है। कोडा चौक से निजी बसों को हटाने के लिए बनाई गई कार्य योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है।

जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया था कि बस स्टैण्ड के आसपास निजी बसों का जमावड़ा न हो। कोडा चौक पर 10 मिनट पहले वही बस आए, जिन्हें परमिट मिला हुआ है। कुल मिलाकर यातायात प्रबंधन समिति के फैसले फाइलों में दबे पड़े हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में यातायात व्यवस्था पूरे तौर से गड़बड़ाई हुई है। सड़कों की हालत पहले ही खराब है और ऊपर से लिए गए फैसले की क्रियान्विति न होने से हालत और भी खराब हो गए हैं।

इनका कहना है

'मैं पिछले पांच साल से लगातार जिला स्तरीय यातायात समिति का सदस्य हूं। समिति की बैठकों में लिए गए निर्णय में से महज 10 प्रतिशत फैसले ही लागू हो पाएं हैं। सड़क सुरक्षा की दृष्टि से लिए गए फैसलों की पालना होनी जरूरी है।'

- मोहन सोनी, सदस्य, जिला स्तरीय यातायात प्रबंधन समिति, श्रीगंगानगर।

'कार्यभार संभाले एक सप्ताह भी नहीं हुआ है। संंबंधित फाइल को देखकर ही कुछ कह पाना संभव होगा।'
- सुमन देवी, जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर।