श्रीगंगानगर. मोबाइल की दुनिया में 5 जी तकनीक आने से फेल हुए पुराने जैमर jammers को बदलने के लिए जेल विभाग अब टावर आफ द हार्मोनियस काल ब्लाकिंग सिस्टम (टीएचसीबीएस) की जानकारी जुटा रहा है। इसके लिए राजस्थान से तीन एडीजी जेल सहित अन्य अधिकारियों को तिहाड़ जेल भेजा गया है। वहां वे इस जैमर की तकनीकी जानकारी जुटाकर जेल विभाग को रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे। इसके बाद यहां भी जेलों में इस तरह के जैमर लगाए जाएंगे।
जेल सूत्रों ने बताया कि जेलों में मोबाइल संचालन व मोबाइल मिलने की घटनाओं के बाद जेल विभाग जैमर की नई तकनीक की जानकारी जुटा रहा है। दिल्ली की तिहाड़ जेल में टीएचबीएस तकनीक लगी है। वह किसी मोबाइल का नेटवर्क जाम में सफल बताई जा रही है।
इसमें मोबाइल टावर तो आते है लेकिन कॉल व इंटरनेट ब्लॉक हो जाते है। इसकी तकनीकी जानकारी लेने के लिए एडीजी जेल मालिनी अग्रवाल, हाई सिक्योरिटी जेल अजमेर के जेल अधीक्षक पारसमल जांगिड़ व श्रीगंगानगर जेल अधीक्षक डॉ. अभिषेक शर्मा को शामिल किया गया है।
यह लोग तिहाड़ जेल में लगी जैमर तकनीक की कार्यप्रणाली, सिस्टम को संचालन करने व रखरखाव की जानकारी ले रहे हैं। इसके बाद जैमर के संबंध में अधिकारियों की ओर से एक रिपोर्ट बनाकर प्रदेश की जेलों में इस तरह के जैमर लगाने की सिफारिश की जाएगी।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने दिए थे सुझाव
जेलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए प्रदेश में अब जैमर के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। यह विकल्प है तकनीक टावर आफ द हार्मोनियस काल ब्लाकिंग सिस्टम (टीएचबीएस) है। इसका दिल्ली के तिहाड़ व मंडोरी जेल में सफल परीक्षण हो चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस विकल्प पर विचार करने के लिए कहा है। इस विकल्प को पारंपरिक जैमर की तुलना में बेहद सस्ता व ज्यादा प्रभावी बताया जा रहा है।
ऐसे करता है कार्य
टीएचसीबीएस एक मोबाइल टावर ही है। इसे जेल परिसर में लगाया जाएगा। किसी भी मोबाइल से काल करने पर एक टावर दूसरे टावर होते हुए काल संबंधित तक पहुंचता है। जेल परिसर में लगा यह टावर सभी काल को रिसीव तो करेगा, लेकिन उसे दूसरे टावर को ट्रांसमिट नहीं करेगा। बाहर के काल को रिसीव नहीं करेगा। इससे जेल में मोबाइल काम नहीं करेगा। इससे मोबाइल का इंटरनेट भी बंद होगा।
इनका कहना है
एडीजी जेल के नेतृत्व में तिहाड़ में लगे टीएचसीबीएस टावर जैमर की तकनीक की जानकारी हासिल की है। इसकी रिपोर्ट बनाकर जेल डीजी को सौंपी जाएगी। इसके बाद यहां की जेलों में इस टावर को लगाए जाने के लिए विचार किया जाएगा।
– डॉ. अभिषेक शर्मा, जेल अधीक्षक जिला जेल श्रीगंगानगर