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Rajasthan News: एक्सपायरी दवा बेचने पर विक्रेता और फार्मासिस्ट को 3-3 साल की कारावास

एक्सपायरी दवाइयां और बिना फार्मासिस्ट से अन्य दवाओं की बिक्री करने के जुर्म में अदालत ने दुकान विक्रेता और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को तीन-तीन साल कारावास व छह-छह हजार रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है।

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Shopkeeper sentenced to 3 years imprisonment for selling expired medicines

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श्रीगंगानगर। सुखाड़िया मार्ग पर एक निजी हॉस्पिटल में संचालित दवा दुकान में अवधि पार की दवाइयां और बिना फार्मासिस्ट से अन्य दवाओं की बिक्री करने के जुर्म में अदालत ने दुकान विक्रेता और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को तीन-तीन साल कारावास व छह-छह हजार रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है। यह निर्णय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सरिता चौधरी ने सुनाया।

अभियोजन अधिकारी डॉ.चन्द्रप्रकाश ने बताया कि अदालत में 9 अक्टूबर 2007 को औषधि नियंत्रण अधिकारी ने परिवाद पेश किया। इसमें बताया कि सुखाड़िया मार्ग पर टांटिया हॉस्पिटल में संचालित दवा दुकान मैसर्स राघव मेडिकल स्टोर 12 मार्च 2007 का निरीक्षण किया तो दुकान में औषधियां फिजीशयन सैपल नॉट टू बी सोल्ड, औषधियां अवधिपार व राजकीय सप्लाई की भण्डारित पाई गई। दवाइयों का अवैध रूप से संग्रहण व विक्रय करना भी पाया गया, इसके साथ साथ दुकान के भागीदार रतन लाल गर्ग पुत्र महावीर प्रसाद और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट रशपाल सिंह पुत्र बलदीप सिंह के पास औषधि विक्रय, संग्रह, प्रदर्शन संबंधी कोई अनुज्ञा पत्र या प्रमाण पत्र नहीं था।

यहां तक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में शेड्यूल एच औषधिया और अवधि पार औषधियां विक्रय की गई अवधि पार औषधियों को बिना पत्राचार रिकॉर्ड के भण्डारित किया गया और बिल में अवधि पार का अंकन नहीं किया जाना पाया गया। जांच के दौरान विकय बिल बुके व निरीक्षण पुस्तिका भी उपलब्ध नहीं कराई गई। इस प्रकरण में दुकान फर्म के भागीदार अनिल टांटिया पुत्र जगदीश राय टांटिया को भी आरोपी बनाया लेकिन अदालत ने उनके खिलाफ प्रक्रिया को 31 मई 2012 निरस्त कर दिया।

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इन-इन धाराओं में मिली सजा

अदालत ने लंबी सुनवाई के उपरांत राघव मेडिकल स्टोर के भागीदार रतन लाल गर्ग पुत्र महावीर प्रसाद और फार्मासिस्ट. रशपाल सिंह पुत्र बलदीप सिंह को दोषी मानते हुए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27 (बी) ( ii) में तीन-तीन साल कारावास व तीन-तीन हजार रुपए जुर्माना, धारा 27 (डी) में एक-एक साल कारावास व एक-एक हजार रुपए जुर्माना, धारा 28 और धारा 28 (ए) में भी एक-एक साल कारावास व एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई।