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उच्च शिक्षण संस्थान में बेहतर संसाधन व शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकारी कॉलेज की होगी रैटिंग

कृष्ण चौहान-यूजीसी ने जारी की गाइड लाइन: राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की श्रीगंगानगर जल्दी आएगी टीम

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उच्च शिक्षण संस्थान में बेहतर संसाधन व शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकारी कॉलेज की होगी रैटिंग

उच्च शिक्षण संस्थान में बेहतर संसाधन व शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकारी कॉलेज की होगी रैटिंग


श्रीगंगानगर. यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थान में बेहतर संसाधन और शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए महाविद्यालयों का राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद एनएएसी से मूल्यांकन करवाना अनिवार्य कर दिया है। नैक से मूल्यांकन करवाने के लिए यूजीसी ने 2023 तक करवाने के लिए गाइड लाइन तक जारी की है। जिले में डॉ.बी.आर अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय का नैक से मूल्यांकन करवाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए पहले आठ अक्टूबर को कॉलेज आयुक्तालय जयपुर से टीम श्रीगंगानगर आएगी। इसके बाद नवंबर में यूजीसी की टीम आएगी। राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य का कहना है कि 2015 में डॉ.बीआर अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय का नैक से मूल्यांकन करवाया गया था,तब महाविद्यालय की बी ग्रेड रेटिंग गाई थी। अब पिछले सात-आठ माह से नैक के मूल्यांकन करवाने के लिए पूरी तैयारी चल रही है। इस बार उम्मीद है कि बी ग्रेड से महाविद्यालय को अच्छी रैटिंग मिलेगी।

नैक की टीम करतीहै निरीक्षण

शिक्षण संस्थान नैक की गुणवत्ता पर खरा उतरने के लिए तैयारी करते हैं। आवेदन करने के बाद नैक की टीम संस्था का दौरा कर कॉलेज का निरीक्षण करती है। इस दौरान टीम कॉलेज में शिक्षण सुविधाएं, नतीजे, इंफ्रास्ट्रेक्चर और कॉलेज के माहौल जैसी गतिविधियों का बारीकी से निरीक्षण करती है। इसी आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज को सीजीपीए दिया जाता है। इसी के साथ इस रिपोर्ट को आधार मानकर कॉलेज को ग्रेड दी जाती है।

बजट के लिए मूल्यांकन का आधार

विश्व विद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के अनुसार किसी महाविद्यालय का नैक से मूल्यांकन नहीं करवाने पर महाविद्यालय को अनुदान नहीं मिलता है।इसी रिपोर्ट के आधार व ग्रेड के आधार पर महाविद्यालय को बजट आवंटित होता है।
पांच साल के लिए ग्रेड मान्य

एनएएसी के तहत कॉलेजों को पांच साल के लिए ग्रेड दिए जाते हैं। इसके बाद फिर से रेटिंग दी जाती है। नैक ने अस्थायी ग्रेड देने की भी व्यवस्था की है। इसके तहत दो साल के लिए ग्रेड देने का प्रावधान रखा गया है। अगर कोई कॉलेज प्रबंधन ग्रेड से संतुष्ट नहीं है तो वह छह महीनेे में कमियां दूर करके दोबारा निरीक्षण करवा सकता है। इसके लिए दस हजार रुपए का शुल्क जमा करवाना होता है। इसके तहत ग्रेड सिर्फ दो साल के लिए ही मान्य होती है।

विद्यार्थियों को मिलती है सटीक जानकारी

नैक रेटिंग से विद्यार्थियों को शिक्षण संस्थान के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है। छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रेक्चर जैसे जानकारी हासिल करना आसान होती है। नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कॉलेज की तलाश कर सकते हैं। इतना ही नहीं नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं।

सीजीपीए के आधार पर होती है ग्रेडिंग

यूजीसी ने ग्रेडिंग पैटर्न में कुछ बदलाव किया है। पहले चार श्रेणियों में कॉलेजों के रखा जाता था लेकिन अब आठ श्रेणियों में कॉलेजों को रखा जाने लगा है। अगर सीजीपीए 3.76 के बीच है तो कॉलेज को एक प्लस प्लस ग्रेड मिलता है। इसका मतलब है कि कॉलेज सबसे बेहतर है। इसी तरह से सीजीपीए के आधार पर एक प्लस,ए,बी,प्लस प्लस,बी प्लस,बी सी और डी ग्रेड दिए जाते हैं।

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद की टीम से कॉलेज की रेटिंग के लिए नवंबर में श्रीगंगानगर आएगी। इससे पहले कॉलेज प्रबंधन ने पिछले सात-आठ माह से पूरी तैयारी कर ली है। अब आयुक्तालय से आठ अक्टूबर को श्रीगंगानगर में टीम आएगी। और कॉलेज का गाइड लाइन के अनुसार निरीक्षण करेंगी। कोई कमियां होने पर उसको दुरुस्त करवाएगी।

-बलवंत सिंह रतन, प्राचार्य,डॉ.बीआर अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय,श्रीगंगानगर।