
गडढों में तब्दील सड़कें, बाइक दौड़ने पर हड्डी टूटने का भय
श्रीगंगानगर। इलाके में इतना अधिक विकास हुआ कि शहर की मुख्य मार्गो पर गडढों में तब्दील हो चुकी सड़कें हकीकत बयां कर रही हैं। यह विकास का दूसरा चेहरा हैं जनाब,सिटी ऑफ लेक की सड़क समझ कर सरपट भागने की कोशिश जान लेवा हो सकती है शहर की सड़कों की हालत वैसी नहीं हैं जितनी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। गड्ढे में सड़क हैं या फिर सड़क में गड्ढे यह पता भी नहीं चलेगा। इनमें कुछ तो डेंजर जोन के रूप में मुंह बाए खड़ी है। शहर की हालत ऐसी है कि सड़कों पर पिछले एक सप्ताह से जब जब भी बरसात हुई तब तब सड़कों पर लगाए गए पेचवर्क पापड़ की तरह चकनाचूर हो गए। इन गड्ढों वाली सड़कों की हालत ऐसी बन चुकी है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। हास्यास्पद तो यह है कि यह जिला प्रशासन को दिखाई तक नहीं दे रहा और न ही नगर परिषद और यूआईटी को। लाखों खर्च कर बनाई इन सड़कों की दशा और दुर्दशा को देखने वाला कोई नहीं है। दिन के समय में तो गडढों से बचकर सड़क मार्ग को पार किया जा जाता है लेकिन रात का सफर तो बिल्कुल ही नहीं।
सुखाडि़या सर्किल से यदि आप दुपहिया वाहन से बाजार एरिया में जा रहे हो तो सावधान हो जाओ। सर्किल पर सड़क इतनी ज्यादा बिखरी हैं कि दुपहिया वाहन आए दिन यहां फिसलकर या सतुंलन बिगड़ने पर जख्मी हो रहे है। इधर, रवीन्द्र पथ गडढों में तब्दील हो गई है। कोतवाली रोड, रेलवे स्टेशन रोड, गगन पथ, तुलसी आचार्य मार्ग, एच ब्लॉक एरिया, पूर्व मंत्री राधेश्याम आवास से लेकर चन्द्रलोक ढाबे तक, वकीलों वाली डिग्गी, सुखाडि़या सर्किल, अंध विद्यालय के सामने विवेकानंद कॉलेानी के लिए जाने वाली मुख्य रोड, अग्रसेननगर चौक से मीरा मार्ग तक, मोती पैलेस से पुरानी आबादी थाने तक, जवाहरनगर सैक्टर दो और तीन की मुख्य रोड, हाउसिंग बोर्ड चौक से जवाहरनगर सैक्टर तीन के मुख्य चौराहे तक, रवीन्द्र पथ से सत्यनारायण बड़ा मंदिर तक रोड भी गडढों से जर्जर हो चुकी हैं।
रवीन्द्र पथ से आवाजाही करने के लिए दुपहिया वाहन पर हैलमेट तो जरूरी हैं ही, इसके साथ साथ गडढों को पार करने के लिए आपके पास प्रशिक्षण भी होना चाहिए। शहर की व्यवस्त कहे जाने वाली इस रोड पर आरयूआईडीपी और नगर परिषद प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। आरयूआईडीपी ने वाटर लाइन बिछाने के बाद पिछले आठ महीने से दुरुस्त तक नहीं किया। वहीं नगर परिषद प्रशासन ने इस रोड पर बने डिवाइडर को रंग रोगन लगाने और चमकाने के नाम पर ठेकेदारों को निहाल कर गई। सभापति करुणा चांडक इस रोड को पीडब्ल्यूडी का क्षेत्राधिकार बता रही हैं।
नगर परिषद प्रशासन ने दीपावली से लेकर अब तक पचास लाख रुपए का बजट सिर्फ शहर में जर्जर सड़कों की मरम्मत पर फूंक दिया है। इसके बावजूद सड़कों पर बरसात आने के बाद पेचवर्क ठहर ही नहीं पाएं और पानी में बह गए। नियमानुसार पेचवर्क की गुणवत्ता को समय रहते जांच करानी थी लेकिन नगर परिषद के एक्सईएन से लेकर जेईएन तक सार संभाल नहीं किया। नतीजन इस बजट को खपाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई।
इधर, नगर विकास न्यास प्रशासन ने भी सड़कों की मरम्मत कराने के लिए ठेकेदारों को अधिकृत किया। इन ठेकेदारों ने उन सड़कों पर लीपापोती की जहां न्यास के अभियंताओं ने सिफारिश की। इसके बावजूद गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा। बिल बनाने में इन अभियंताओं ने देर नहीं की। नतीजन गुपचुप तरीके से लाखो ंरुपए का बजट सिर्फ सड़कों के निर्माण या मरम्मत के नाम पर फूंका जा चुका है। इसके बावजूद सड़केां पर गडढे ही गडढे नजर आ रहे है। दो महीने पहले न्यास की ओर से वृद्धा आश्रम मार्ग पर कारपेट रोड का निर्माण कराया गया लेकिन सूरतगढ़ रोड पर पहुंचने पर यह सड़क इतनी ज्यादा जर्जर हो गई है कि वहां पैदल निकलना भी मुश्किल हो गया है।
आरयूआईडीपी ने भी वाटर लाइन और सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़कों को दुबारा बनाने के नाम पर सिर्फ लीपोपाती की है। इस वजह से ज्यादातर सड़कें धंस चुकी है। भगतसिंह चौक से कलक्ट्रेट तक, रेलवे स्टेशन से नगर परिषद तक, इंदिरा कॉलोनी, जवाहरनगर, सेतिया कॉलोनी, पुरानी आबादी आदि एरिया में अधिकांश सड़कें दम तोड़ने लगी है।
Published on:
29 Jul 2023 06:17 pm
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