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राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में नहीं हो रही तीन दिन से पढाई, वजह जानने के लिए पढ़े पूरी खबर

प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों के तबादले की मांग पर अड़े ग्रामीण, ज्ञापन सौंप दी अनशन की चेतावनी, शिक्षकों ने लगाया राजकार्य में बाधा का आरोप

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श्रीकरणपुर.

निकटवर्ती गाव 46 एफ मौड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हालात यह है कि बच्चों के नहीं आने से लगातार तीसरे दिन मंगलवार को भी वहां शिक्षण कार्य नहीं हुआ। एक तरफ जहां ग्रामीणों ने सीेएम के नाम का ज्ञापन उपखंड प्रशासन को सौंपकर आरोपी शिक्षकों का तबादला होने के बाद ही बच्चों को स्कूूल भेजने की बात कही है। वहीं, दूसरी ओर शिक्षकों ने थानाधिकारी से आरोपी ग्रामीणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।


...तो कल से होगा अनशन

गांव मौड़ां निवासी कामरेड महेन्द्र राम, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के तहसील अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह, जसवीर सिंह, इंद्रजीत सिंह, जसमीत कौर, लवप्रीत कौर, जसप्रीत कौर सहित करीब तीस ग्रामीणों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन में घटनाक्रम की जानकारी देते हुए बताया गया है कि शिक्षक ने खुद ही रजिस्टर फाड़ दिया। और अब गांव के गरीब लोगों को पुलिस का भय दिखाकर झूठे आरोप में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन पर ढिलाई का आरोप लगाते हुए मांग पूरी होने तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजने व गुरुवार से अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है।


शिक्षक पहुंचे थाने...

उधर, प्रधानाध्यापक सुखदेव सिंह सहित विभिन्न शिक्षक संघों के पदाधिकारी अवतारसिंह चहल, बालकिशन गहलोत, सरदूल सिंह, जयकिशन शर्मा, राकेश त्यागी, बिहारीलाल मुटनेजा व नरेश जक्खू सहित करीब तीन दर्जन शिक्षकों ने थानाधिकारी विजय मीणा को परिवाद देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। परिवाद में बताया गया कि 30 जून को गांव के इंद्रजीत सिंह के साथ कई ग्रामीण स्कूल में आए और प्रधानाध्यापक के साथ गाली गलौज कर कस्सी से वार करने की कोशिश की। कार्यालय में तोडफ़ोड़ करने के अलावा जबरन स्कूल के ताला जड़ दिया।


यह है मामला

गौरतलब है कि गांव मौड़ां के सरकारी स्कूल में कथित रूप से वहां अध्ययनरत छह वर्षीय बालिका से अश्लील हरकत हुई। प्रकरण में स्कूल प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर से रोषित ग्रामीणों ने 30 जून को स्कूल के ताला जड़ दिया था। तहसीलदार अमरसिंह भनखड़ को ज्ञापन सौपकर प्रधानाध्यापक पर शराब पीकर स्कूल आने व शिक्षिकाओं पर मोबाइल में व्यस्त रहने का आरोप लगाया था। वहीं, प्रधानाध्यापक ने ग्रामीणों पर राजकार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया।