श्रीगंगानगर.वर्तमान दौर में विद्यार्थियों को करियर और सफलता की सीढिय़ां सीखने के साथ-साथ असफलताओं से जूझने और उनको हैंडल करने के गुर सीखना ज्यादा जरूरी हो गया है। बीते वर्षों में संयुक्त परिवारों और पारंपरिक कक्षा-कक्षीय शिक्षण प्रणाली के तहत बच्चे स्वत: ही इसके लिए तैयार होते थे परंतु बदलती शिक्षण व्यवस्था के साथ-साथ विद्यार्थी इस विधा से दूर होने लगे हैं। हालांकि स्कूल और कॉलेज शिक्षा के अंतर्गत काफी सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं परंतु अभी भी इनमें और आयामों की गुंजाइश है। चाहे कोविड जैसी कोई प्राकृतिक आपदा हो या इन दिनों बने आपातकालीन हालात। इन सबसे बिना पैनिक हुए लडऩे के लिए बच्चों का मानसिक मजबूत होना बेहद आवश्यक है। इसके लिए नागरिक सुरक्षा, एनएनसीसी, स्कॉउट, एनएसएस, एसपीसी जैसी गतिविधियों और आउटडोर खेलों का स्कूल से ही अनिवार्य प्रशिक्षण ज्यादा फायदेमंद सिद्ध होगा।
सीबीएसई और राज्य बोर्ड भी कर रहे फोकस
विद्यार्थियों से पढ़ाई का अनावश्यक बोझ हटाकर उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का स्वाभाविक विकास करने की उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के साथ-साथ विभिन्न राज्य बोर्ड भी लगातार नवाचार कर रहे हैं सीबीएसई ने अभी कुछ दिन पहले पेरेंटिंग कैलेंडर भी जारी किया है जबकि प्रदेश का शिक्षा विभाग भी मेंटल हेल्थ पर काम कर रहा है परंतु इन सब के अलावा माता-पिता और अभिभावकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण ही रहेगी।
हानिकारक है अतिसंरक्षण
बदलते समय के साथ-साथ बहुत से माता-पिता और अभिभावक बच्चों को लेकर आवश्यकता से अधिक चिंतित हुए हैं जिसके चलते वे बच्चों को अत्यधिक संरक्षण प्रदान करते हैं। यही संरक्षण की अत्यधिक भावना विद्यार्थियों के व्यापक व्यक्तित्व विकास में बाधक बन रही है। जिसके कारण थोड़ी सी भी विकट परिस्थिति विद्यार्थी को डगमगा देती है।