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सिफारिश दरकिनार कर अनाथों की चमका रहे तकदीर

-बड़े अफसरों व रसूखवालों के करीब 52 आवेदनों को किया दरकिनार

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हनुमानगढ़.

प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। मगर कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों की तकदीर संवारने का प्रयास करते रहते हैं। हनुमानगढ़ कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने हाल ही में अपने कोटे से तीन अनाथ बच्चों का केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश दिलाकर मिसाल पेश की है। कलक्टर कोटे से प्रवेश दिलाने को लेकर उनके पास बड़े अफसरों व रसूखदारों के करीब 50 आवेदन आए थे। लेकिन उन्होंने किसी आवेदन को स्वीकार नहीं किया।

कलक्टर कार्यालय से जुड़े कार्मिक बताते हैं कि जब केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हुई तो कलक्टर के पास कई आवेदन आए। लेकिन उन्होंने इन आवेदनों पर गौर नहीं किया। उन्होंने अपने कोटे से ऐसे बच्चों का प्रवेश दिलाने का मन बनाया, जो बहुत ही जरूरतमंद हों।


इसके लिए उन्होंने पालनहार योजना मेें नामांकित बच्चों की सूची खंगाली। अपने कार्मिकों को भेजकर तीन ऐसे जरूरतमंद बच्चों को चुना, जिनके सिर पर अपनों का साया नहीं था। केंद्रीय विद्यालय हनुमानगढ़ के प्रभारी प्राचार्य ईश्वर सिंह के अनुसार अभी यहां पर आठवीं तक की कक्षाएं चल रही है। हर कक्षा में 40 सीटें स्वीकृत हैं। कुल 340 बच्चे केवी में नामांकित हैं। कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित के कोटे से तीन ऐसे अनाथ बच्चे, जो पालनहार में चिन्हित हैं, उनको प्रवेश दिया गया है। इन बच्चों को किताबें सहित अन्य सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं। कलक्टर कोटे से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से केवल कम्प्यूटर फीस 100 रुपए प्रति माह लेते हैं। इसके अलावा और कोई शुल्क इनसे नहीं लिया जाता।


अब अलवर का रास्ता
हनुमानगढ़ कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित का तबादला अब अलवर कर दिया गया है। मंगलवार को सरकार की ओर से जारी सूची में कई आईएएस अफसरों का तबादला किया गया है। संभवत: प्रकाश दो दिन बाद अलवर में कार्यभार ग्रहण कर लेंगे।


किशन भी रहे चर्चा मेें
हनुमानगढ़ में कलक्टर रह चुके पीसी किशन के बच्चों के प्रति संवेदनशील होने की काफी चर्चा रही। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान झुग्गी-झोपडिय़ों व कच्ची बस्तियों में बच्चों के लिए पुस्तकालय बनवाए। मजदूरों के बच्चों के साथ वह पिकनिक मनाने भी जाते थे।


पालनहार में चयनित
जंक्शन में कॉलोनी निवासी प्रेम कुमार के दो बच्चे थे। प्रेम की मौत के बाद उनके दोनों बच्चों का क्रमश: कक्षा चार व तीन में प्रवेश दिलाया। इसी तरह सुरेशिया निवासी एक बच्चे का प्रवेश कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अपने कोटे से केंद्रीय विद्यालय में करवाया। तीनों बच्चे समाज कल्याण विभाग के पालनहार योजना में चिन्हित हैं।


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