scriptबेपटरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट: 50 लाख की आबादी में 200 लो फ्लोर बसें, कभी हांफती तो कभी हो जातीं खड़ी | Public Transport: Jaipur's low floor buses are breaking down day by day due to lack of maintenance | Patrika News
जयपुर

बेपटरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट: 50 लाख की आबादी में 200 लो फ्लोर बसें, कभी हांफती तो कभी हो जातीं खड़ी

Jaipur Low Floor Bus : पांच साल पहले जेसीटीएसएल की ओर से शहर में 400 बसों का संचालन किया जाता था। लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण बसों की संख्या घटती गई।

जयपुरMay 05, 2024 / 02:53 pm

Anil Prajapat

Jaipur Low Floor Bus : जयपुर। राजधानी की आबादी करीब 50 लाख पहुंच गई है। इसके बावजूद सार्वजनिक परिवहन सेवा एक दशक पुरानी है। जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (जेसीटीएसएल) की ओर से शहर में 200 लो फ्लोर बसों का संचालन किया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि मेंटेनेंस के अभाव में आए दिन बसें सड़कों पर खराब दिख रही हैं।
40 सीटर बसें सौ यात्रियों को भरकर दौड़ रही हैं। इससे शहर में हादसें भी हो रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जेसीटीएसएल की ओर से 150 इलेक्ट्रिक बसों को लाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन गौर करने वाली बात है कि राजधानी की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों को आने में एक साल लग जाएगा। इस बीच निगम की सौ और बसें कबाड़ हो जाएंगी। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों के आने के बाद भी लो-फ्लोर बसों की संख्या नहीं बढ़ेगी। राजधानी के लोगों की परेशानी जस की तस रहेगी।

करने होंगे इंतजाम

पांच साल पहले जेसीटीएसएल की ओर से शहर में 400 बसों का संचालन किया जाता था। लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण बसों की संख्या घटती गई। अब बसों का आंकड़ा 200 पर आ गया है। ऐसे में जेसीटीएसएल को इलेक्ट्रिक बसों के अतिरिक्त अन्य बसों का भी वैकल्पिक इंतजाम समय रहते करना होगा, ताकि शहर की जनता को बसों की कमी से परेशान नहीं होना पड़े।

शहर को चाहिए 1500 लो-फ्लोर बस

राजधानी में आबादी के हिसाब से वर्तमान में लो-फ्लोर बस की संख्या करीब 1500 होनी चाहिए। यात्रियों को बस स्टॉप पर आधे घंटे में बसें मिल रही हैं। 2013 में जहां 400 बसें संचालित थीं, अब घटकर 200 ही रह गई हैं। शहर में महज सौ बड़ी बसें चल रही हैं और सौ मिडी बसें चल रही हैं। 400 बसें होने के कारण शहर में 35 रूटों पर बसों का संचालन किया जाता था, जो अब घटकर 25 रह गया है।

ये है जेसीटीएसएल बसों का गणित

—2011 में खरीदी थी 280 बसें 2020 में कबाड़ हो गईं
—2013 में खरीदी 120 बसें मार्च 2023 में कंडम हो गईं
—2016 और 2020 में कुल 200 बसें नई आईं जो फिलहाल संचालित हैं
—300 इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं, जो अभी तक नहीं आईं
—200 बसें संचालित हैं वर्तमान में
—1.50 लाख यात्री सफर करते हैं रोजाना

…तो आय पर पड़ेगा असर

किसी शहर का अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट कमजोर है तो उसका असर लोगों की आय पर भी पड़ता है। अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट मजबूत है तो लोग निजी वाहनों का उपयोग कम करेंगे। वहीं, कम खर्च में सरकारी बसों में सफर करेंगे। शहर में शोर और हवा का प्रदूषण कम होगा। लेकिन जयपुर में हालात उलट हैं। सरकार ने जयपुर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया। यहां बसों की संया समय के साथ नहीं बढ़ाई। शहर में जाम के हालात का एक कारण यह भी है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
-प्रोफेसर अनुराग शर्मा, निदेश, उद्य​मिता एवं कौशल विकास केंद्र, राजस्थान विश्वविद्यालय
आचार संहिता के कारण इलेक्ट्रिक बसों की खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। आचार संहिता हटने के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी 200 बसों का संचालन किया जा रहा है।
-रामअवतार मीणा, एमडी, जेसीटीएसएल

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