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जोधपुर

Mother’s Day 2024 : 15 महीने के बेटे को पति के पास छोड़कर करती हैं ड्यूटी, इनके जज्बे को सलाम

Mother’s Day 2024 : पुलिस स्टेशन माता का थान में पदस्थापित कांस्टेबल विमला का कहना हैं कि उसके 15 माह का बेटा है। ड्यूटी पर जाने के दौरान पति बेटे को संभालते हैं।

जोधपुरMay 12, 2024 / 01:44 pm

Rakesh Mishra

विकास चौधरी

घर के उत्तरदायित्वों के साथ-साथ महिलाएं सबसे कठिन मानी जाने वाली पुलिस महकमे की ड्यूटी भी बखूबी निभा रही हैं। हालांकि उन्हें घर व बच्चों की परवरिश में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन पति या घर के अन्य सदस्यों की मदद से महिला पुलिसकर्मी दोनों कर्तव्यों पर बखूबी डटी हुईं हैं।
बेटे के आइआइटी में चयन ने सब परेशानी भुला दी
पुलिस चौकी डिगाड़ी में पदस्थापित कांस्टेबल संजू चौधरी का कहना हैं कि उनके एक बेटा व छह साल की बेटी हैं। पति भी सरकारी जॉब में हैं। ड्यूटी के साथ-साथ घर और दोनों बच्चों को संभालना काफी कठिन है। पुलिस की हार्ड ड्यूटी के चलते 10-12 घंटे तक घर जाना नहीं होता है। दिनभर कड़ी ड्यूटी के बाद पुत्र की पढ़ाई के चलते रात भर जागना भी पड़ा। जब बेटे का दिल्ली में कम्प्यूटर साइंस में आइआइटी में चयन हुआ तो सब कष्ट भूल गईं।
युवतियों को आत्मरक्षा में निपुण कर रही
कांस्टेबल किरण चौधरी महिला शक्ति आत्मरक्षा केन्द्र में कार्यरत हैं। उसका 17 माह का पुत्र है। घर का कामकाज करने के बाद भाई को मासूम बेटा सौंपकर ड्यूटी पर निकलती हूं। हर समय बच्चे की चिंता रहती है, लेकिन ड्यूटी भी जरूरी है। प्रशिक्षण शिविर में छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए पंच, किक्स और सभी ट्रिक्स सिखा रही हैं। इसके अलावा नियमित अभ्यास भी करवाती हैं।
15 माह का बेटा है, पति के पास छोड़ करती हैं ड्यूटी
पुलिस स्टेशन माता का थान में पदस्थापित कांस्टेबल विमला का कहना हैं कि उसके 15 माह का बेटा है। ड्यूटी पर जाने के दौरान पति बेटे को संभालते हैं। लॉ एण्ड ऑर्डर, थाने की डाक व संतरी पहरा ड्यूटी के साथ चुनावी ड्यूटियों के चलते घंटों घर से दूर रहना पड़ता है। जो काफी कठिन है, लेकिन पति की मदद से हौसला मिलता है।
परेशानियां आती है, पर हिम्मत भी मिलती है
पर्यटक थाने में पदस्थापित बिरजू का कहना हैं कि उसके एक बेटा व एक बेटी है। पति दूसरी जगह निजी जॉब करते हैं। ऐसे में अकेले ही दोनों बच्चों को संभालने के साथ साथ पुलिस की ड्यूटी करना बेहद कठिनाई व परेशानियों वाला काम है। दोनों के बीच सामंजस्य रखना मुश्किल हो जाता है, लेकिन बच्चों की खुशी हिम्मत भी देती है।
घर लौटने पर बेटी के गले लगते ही थकावट दूर
बाड़मेर की कांस्टेबल निर्मला महिला शक्ति आत्मरक्षा केन्द्र में पदस्थापित है। उसकी तीन साल की बेटी है। उसे संभालने के लिए बहन साथ रहती है। बेटी को बहन के पास छोड़ने के बाद विद्यालय व कॉलेज की छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने जाती है। कई बार कानून व्यवस्था के लिए रात को भी ड्यूटी लगती है। जब घर लौटती हूं तो बेटी दौड़कर गले लगती है तो सभी थकान व चिंता दूर हो जाती है।
पति भी पुलिस में, दो बेटियों की जिम्मेदारी
कांस्टेबल अनीता पूनिया का कहना हैं कि वह पर्यटक थाने में पदस्थापित हैं। पति भी पुलिस में ही हैं। दोनों बेटियों की परवरिश के साथ-साथ कर्तव्य की पालना काफी मुश्किल डगर है। बेटियों को तैयार करना और उन्हें स्कूल भेजने से लेकर पढ़ाई का ध्यान भी रखना होता है। ड्यूटी के बीच यह काफी कठिन है, लेकिन बेटियों की मुस्कान से हिम्मत मिलती है। कई बार ड्यूटी के कारण कई घंटों तक घर नहीं जा पाते।

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