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इन खिलाड़ियों के जूनून के सामने बौना साबित हो रहा उम्र, 75 और 65 साल की उम्र में जीते कई नेशनल एथलेटिक्स मेडल

जब व्यक्ति हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ कुछ करना चाहता है तो कुछ भी उसके आड़े नहीं आ सकता। फिर उम्र क्या चीज है। ऐसी ही कुछ मिसाल बने हैं 75 साल के रमेश श्रीवास्तव और अनिता राज। जगदलपुर के 75 वर्षीय रमेश श्रीवास्तव नेशनल मास्टर एथलेटिक्स में अब तक पांच बार मैडल ले चुके है।

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इन खिलाड़ियों के जूनून के सामने बौना साबित हो रहा उम्र, 75 और 65 साल की उम्र में जीते कई नेशनल एथलेटिक्स मेडल

इन खिलाड़ियों के जूनून के सामने बौना साबित हो रहा उम्र, 75 और 65 साल की उम्र में जीते कई नेशनल एथलेटिक्स मेडल

जगदलपुर. कहते हैं कि जब व्यक्ति हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ कुछ करना चाहता है तो कुछ भी उसके आड़े नहीं आ सकता। फिर उम्र क्या चीज है। ऐसी ही कुछ मिसाल बने हैं 75 साल के रमेश श्रीवास्तव और अनिता राज। जगदलपुर के 75 वर्षीय रमेश श्रीवास्तव नेशनल मास्टर एथलेटिक्स में अब तक पांच बार मैडल ले चुके है।

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वहीं 75 वर्षीय अनिता राज ने श्रीलंका में अंतराष्ट्रीय एथलेटिक्स में गोला फेंक में और 65 वर्षीय उषा श्रीवास्तव ने पहले सिंगापुर में आयोजित मास्टर एथलेटिक्स में 3.2 मीटर तक छलांग लगाकर लंबी कूद में और दूसरी बार थाईलैंड में भी इंटनेशनल मास्टर एथलेटिक्स में भाला फेंक में पदक हासिल किया।

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अब इंटरनेशनल एथलेटिक्स की कर रहे तैयारी

रमेश श्रीवास्तव अब नेशनल के बाद इंटरनेशनल मास्टर एथलेटिक्स में जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए वे रोजाना सुबह ४ बजे उठकर वर्कआउट करते है। रोजाना सुबह ४५ मिनट में ७ किलोमीटर चलते है साथ ही व्यायाम और योगा भी करते है। वर्कआउट के अलावा वे अपने डाइट पर भी विशेष ध्यान देते हंै। उनका कहना है कि जीवन में अनुशासन से असंभव लक्ष्य को भी संभव बनाया जा सकता है।

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75 वर्ष की उम्र में एक बार भी नहीं कराई बीपी, शुगर की जांच

अनिता राज बचपन से ही खेल प्रेमी रही हैं। 75 साल की उम्र में भी वे हर दिन सुबह 5 किमी. मीटर दौड़ लगाती है। सुबह 5 बजे उठकर योगा और व्यायाम भी करती है। उन्होंने बताया कि उन्हें आज तक उन्हें अपना बीपी और शुगर जांच कराने की जरूरत नहीं पड़ी। वे पूरी तरह से फिट हैं।

खेल के लिए उम्र की सीमा नहीं होती है

65 वर्षीय उषा श्रीवास्तव ने बताया कि खेल के लिए उम्र की सीमा नहीं होती है। उषा दो इंटरनेशनल और तीन नेशनल मास्टर एथलेटिक्स में पदक हासिल कर चुकी है। भाला फेंक, तावा फेंक और लंबी कूद में हर बार मैडल पर कब्जा किए है। करीब 40 सालों से वे रोजाना सुबह उठकर वर्कआउट करती आ रही है। वे युवा खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।

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