
इस गांव में पहली बार पहुंची IAS महिला अफसर, किसानों को समझाया नरवा, गरुआ और बाड़ी का महत्त्व
सुकमा. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इसलिए महिला IAS अफसर ने कमर कस ली। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऋचा प्रकाश चौधरी सुकमा के अंतिम छोर कोण्टा ब्लॉक की ग्राम पंचायतों का दौरा किया। वहीं सरपंच और ग्रामीणों से रूबरू होकर गांव की समस्याओं को जाना। उन्होंने मुरतोंडा, मिचमा, एर्राबोर समेत कई गांवों का जायजा लिया।
ग्रामीण पहली बार आईएएस महिला को देखकर काफी उत्साहित हुए । शनिवार को ऋचा प्रकाश चौधरी कोंटा पहुंची, जहां उन्होंने अधिकारियों को स्वीप कार्यक्रम गांव में आयोजित कर मतदाताओं में जागरूक करने की बात कही। गोठान निर्माण गांवों में करने के लिए जमीन चयन जल्द करें ताकि गोठान का लाभ लोगों को मिले। मनरेगा के कार्यो का गांवों निरीक्षण किया। मनरेगा में मजदूरों को काम करके आर्थिक रूप मजबूत हो एकाम की गांवों कमी नहीं होगी।
एराबोर ग्राम पंचायत के किसानों के साथ सीईओ ने बैठक ली। नरूवा, गरुवा, बाड़ी का महत्त्व किसानों को समझाया। इस योजना के तहत किसानों को अधिक से अधिक लाभ ले। गोठान समेत बाड़ी, नाला के लिए जमीन का चयन करें। किसान कृषि से आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। किसानों से सीईओं ने कहा कि किसानों, ग्रामीण प्रशासन का सहयोग करें।
सीईओ द्वारा 35 वर्ष पुराना मिचमा के बबलकोयर नाला में बने डायवर्सन को पुनर्जीवित करने के लिए निरीक्षण किया गया। जिसमें संयुक्त रूप से कृषि एवं सिंचाई विभाग साथ में रहे। इसको पुर्नजीवित करने के लिए तत्काल प्राकलन बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इस नाला को पुनर्जीवित होने से मिचमा पंचायत समेत कई गांवों के किसानों को खेती के लिए पानी मिलेगा। सीईओ ने गांव में शत प्रतिशत मतदान करने के लिए किसानों से कहा।
मुरतोंडा में सीईओं ने कृषि महाविद्यालय के लिए भूमि का जायजा कृषि अधिकारी के साथ लिया। अधिकारियों को जल्द ही कृषि विद्यालय के लिए भूमि का सीमांकन करने के निर्देश दिए। मुरतोंडा में ग्रामीणों से सीईओं ने गांव के विषय पर चर्चा की। मुरतोंडा के ग्रामीणों से महाविद्यालय शुरू करने के लिए सहयोग करने की बात सीईओ ने कही।
सीईओ ऋचा प्रकाश चौधरी अधिकारियों से कहा की नरूवा, गरुवा, धुरूवा और बाड़ी सरकार की महत्वपूर्ण योजना हैं। इस योजना के माध्यम से गांवों के विकास की कल्पना की गई हैं। नाला पानी को रोक कर किसान उस पानी का उपयोग करेंगे। ऐसे नाले चिन्हित कर पानी सरंक्षित करने पर काम हो। गोबर इकट्ठा कर उसका खाना बनाने के लिए ईंधन और खाद के उपयोग करने से जमीन उपजाऊ होगी।
Published on:
11 Mar 2019 01:47 pm
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