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ACPC : डिग्री इंजीनियरिंग दूसरे वर्ष के प्रवेश कार्यक्रम में बदलाव

सूरत. गुजरात के डिप्लोमा इंजीनियरिंग ACPC के विद्यार्थियों को डिग्री इंजीनियरिंग के दूसरे साल में सीधे प्रवेश के लिए इंतजार करने की नौबत आ गई है। डिप्लोमा का परिणाम अभी तक जारी नहीं होने के कारण प्रवेश समिति को प्रवेश कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा है। दो माह लंबी चली पंजीकरण प्रक्रिया के बाद अब 18 अगस्त को मेरिट लिस्ट जारी करने की घोषणा की गई है।

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ACPC : डिग्री इंजीनियरिंग दूसरे वर्ष के प्रवेश कार्यक्रम में बदलाव

ACPC : डिग्री इंजीनियरिंग दूसरे वर्ष के प्रवेश कार्यक्रम में बदलाव

डिप्लोमा इंजीनियरिंग ACPC पास करने वाले विद्यार्थियों को डिग्री इंजीनियरिंग के दूसरे साल में सीधा प्रवेश देने का प्रावधान है। इस प्रवेश प्रक्रिया को डी टू डी कहा जाता है। एडमिशन कमेटी फॉर प्रोफेशनल कोर्सेस (एसीपीसी) ही डी टू डी की प्रवेश प्रक्रिया करता है। इस साल 36,000 सीटों को प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया गया था। इसके लिए 1 जून से पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिसमें सिर्फ 14,803 विद्यार्थियों ने ही पंजीकरण करवाया है। पुराने प्रवेश कार्यक्रम के अनुसार 20 जुलाई को मेरिट लिस्ट जारी करने की घोषणा की गई थी, लेकिन गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) ने अभी तक डिप्लोमा के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों का परिणाम जारी नहीं किया है। इसलिए एसीपीसी को पंजीकरण प्रक्रिया को 31 जुलाई तक बढ़ाना पड़ा। प्रवेश समिति के नए कार्यक्रम के अनुसार 18 अगस्त को मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। 20 अगस्त को मॉक राउंड और च्वॉइस फिलिंग होगी। 23 से 24 प्रथम राउंड के प्रवेश और 26 को सीट एनरोलमेंट होगा।

- 34 हजार से अधिक सीटें रिक्त :
एडमिशन कमेटी फॉर प्रोफेशनल कोर्सेस (एसीपीसी) ACPC की ओर से डिग्री इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश का दूसरा राउंड जारी कर दिया गया है। इसमें 19,958 विद्यार्थियों को मेरिट के अनुसार प्रवेश दिया गया है। 6 अगस्त तक प्रवेश फीस भरकर प्रवेश निश्चित नहीं करवाने पर प्रवेश रद्द हो जाएगा। प्रवेश रद्द होने पर सीट रिक्त हो जाएगी। प्रदेश के डिग्री इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत विद्यार्थियों के नहीं मिलने से दयनीय होती जा रही है। प्रवेश के दो राउंड बाद भी 34 हजार से अधिक सीटें रिक्त पड़ी है। ऐसे में दूसरे राउंड वाले विद्यार्थी भी प्रवेश नहीं ले तो रिक्त सीटों की संख्या बढ़ जाएगी। पहले राउंड में 25,628 को प्रवेश दिया गया था, जिसमें से 17 हजार ने ही फीस भर प्रवेश सुनिश्चित किया था। आठ हजार से अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश मिलने के बावजूद दिलचस्पी नहीं ली थी।