
रशिया के याकुत्सक के साथ परवान चढ़ेगा सूरत का बहनापा
विनीत शर्मा
सूरत. फ्लाइओवर और खाड़ी-नदी पुलों के शहर सूरत में लोगों को सीधे रास्तों की भी दरकार है। लोगों की मांग है कि रेलवे पटरी के समानांतर उधना स्टेशन से सहारा दरवाजा तक सीधा रास्ता बन जाए तो उनकी मुश्किल आसान हो जाए। एक बड़ी आबादी को घूमकर जाने की बाध्यता से निजात मिलेगी और समय की भी बचत होगी।
एक दौर था, जब शहर में विकास का मतलब फ्लाइओवर और खाड़ी तथा नदी पर कनेक्टिविटी के लिए बन रहे पुल थे। मनपा का ब्रिज सेल आज भी शहर के विभिन्न विस्तारों में कनेक्टिविटी देने के लिए नए पुलों पर काम कर रहा है। कनेक्टिविटी की दिशा में हो रही इन कोशिशों ने सूरत को फ्लाइओवर ब्रिज सिटी का तमगा दे दिया है। आसान कनेक्टिविटी के लिए हो रहे प्रयासों के बीच लोग दूसरी जगहों पर भी कनेक्टिविटी की मांग करने लगे हैं। एक तबका उधना स्टेशन से सहारा दरवाजा तक सीधी कनेक्टिविटी की मांग कर रहा है। लोगों का कहना है कि रेलवे पटरी के समानांतर उधना स्टेशन से सहारा दरवाजा तक सीधा रस्ता बनता है तो उन्हें लंबा चक्कर काटने से निजात मिल जाएगी।
फिलहाल लोग गंतव्य तक पहुंचने के लिए परवत पाटिया या उधना तीन रास्ता का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें समय अधिक लगता है और पैसा भी ज्यादा खर्च होता है। उधना, लिंबायत, नवागाम, डिंडोली और आंजणा विस्तार के लोगों को सहारा दरवाजा की ओर घूमकर जाना पड़ता है। इन क्षेत्रों में करीब छह लाख की श्रमिक बस्ती है। यदि रेलवे पटरी के समानांतर रास्ता बनता है तो इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों की सूरत स्टेशन, बस स्टेशन, स्मीमेर हॉस्पिटल और टैक्सटाइल मार्केट तक पहुंच आसान हो जाएगी। इसके अलावा लिंबायत में प्रस्तावित श्मशान गृह जाना भी लोगों के लिए सुगम होगा।
लोगों का कहना है कि रेलवे पटरी के समानांतर समाजकंटकों का बोलबाला है। रास्ते के अभाव में पुलिस के लिए भी उन तक पहुंचना आसान नहीं होता। उनके हौसले बुलंद रहते हैं और शाम घिरते ही उस तरफ लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। यदि सीधा रास्ता बनता है तो लोगों की आवाजाही बढऩे से समाजकंटकों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
रास्ते में हैं खाडिय़ां
फिलहाल सीधी कनेक्टिविटी में रास्ता नहीं होना तो बड़ा अवरोध है ही, दो खाडिय़ां भी लोगों की राह मुश्किल बनाती हैं। खाड़ी के एक ओर से दूसरे किनारे पर जाने के लिए लोगों को लंबा फेरा लेना पड़ता है। यह रास्ता बनता है तो दोनों खाडिय़ों पर लोगों को आर-पार कनेक्टिविटी मिलेगी। प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए पूरी दुनिया मोटर्ड व्हीकल के कम से कम इस्तेमाल पर फोकस कर रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष २०३५ तक नॉन मोटर्ड व्हीकल को प्रमोट करने और पेट्रोल की खपत को कम करने का लक्ष्य तय किया है। यह रास्ता बनता है तो पेट्रोल की खपत में भी काफी कमी आएगी। इससे कुछ हद तक प्रदूषण पर लगाम लगेगी।
बचेगा समय
अभी घूमकर जाना पड़ता है तो समय काफी खराब हो जाता है। यदि सीधा रास्ता बनता है तो समय की बचत होगी और उधना स्टेशन से सहारा दरवाजा तक पहुंच आसान हो जाएगी।
संदीप तोरवणे, स्थानीय निवासी
वरदान साबित होगा
यहां रह रहे श्रमिकों के लिए यह रास्ता वरदान साबित होगा। खाड़ी पार करने के लिए लंबा चक्कर काटना पड़ता है। रास्ता बन गया तो आना-जाना आसान हो जाएगा।
शरद पाटिल, व्यवसायी, उधना
मरीजों को होती है दिक्कत
इस क्षेत्र में रह रहे मरीजों को स्मीमेर तक जाने के लिए लंबा चक्कर काटना होता है। कई बार जाम में फंसने के कारण मरीज और परिजनों की मुश्किल बढ़ जाती है। सीधा रास्ता बनने से मरीजों को राहत मिलेगी।
राजेंद्र ठाकुर, व्यवसायी, डिंडोली
पैसे की होगी बचत
उधना स्टेशन से सहारा दरवाजा की ओर जाने के लिए परवत पाटिया या फिर उधना तीन रास्ता होकर गुजरना पड़ता है। इससे लोग करीब चार-पांच किमी ज्यादा का चक्कर काटते हैं। सीधा रास्ता बनने से समय के साथ पैसे की भी बचत होगी।
अमित पाटिल, कन्सेलटेंट, लिंबायत
Published on:
31 Aug 2018 12:16 pm
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