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FRAUD : क्राइम ब्रांच ने 26 एटीएम कार्ड के साथ दो को पकड़ा

- एटीएम फ्रॉड के चार मामलों का भेद उजागर - कैश डिस्पेंसर से छेड़छाड़ कर बैंक के साथ करते थे फ्रॉड

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FRAUD :  क्राइम ब्रांच ने 26 एटीएम कार्ड के साथ दो को पकड़ा

FRAUD : क्राइम ब्रांच ने 26 एटीएम कार्ड के साथ दो को पकड़ा

सूरत. शहर के अलग-अलग इलाकों में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम सेन्टरों पर मशीन की कैश डिस्पेंसर ट्रे में उंगली फंसा कर हुए फ्रॉड के चार मामलों का भेद उजागर हुआ है। क्राइम ब्रांच ने दो जनों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से अलग-अलग बैंकों के 26 एटीएम कार्ड, 19 हजार रुपए नकद व दो मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं।

पुलिस के मुताबिक आरोपी दिलीप प्रजापति व सूरज प्रजापति पिछले कुछ समय से शहर में सक्रिय थे। दिलीप उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले के पाई गांव व सूरज कौशांबी जिले के केसरी गांव का मूल निवासी है। दोनों कडोदरा वरेली में शांतिनगर में रह रहे थे।

वे शहर के अलग-अलग इलाकों में स्टेट बैैंक के एटीएम सेन्टरों पर जाते थे और एटीएम कार्ड व पिन का इस्तेमाल कर मशीन से दस हजार रुपए का ट्रांजेक्शन करते थे। ट्रांजेक्शन होने के समय कैश ट्रे के साथ छेड़छाड़ कर रुपए निकाल लेते थे, फिर संबंधित बैैंक में ट्रांजेक्शन फेल होने की शिकायत कर बैंक से रिफंड हासिल करते थे।

पिछले दिनों महिधरपुरा, वराछा, उमरा व अठवालाइन्स में इस तरह बैैंकों के साथ फ्रॉड के चार मामले सामने आने पर क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की। क्राइम ब्रांच ने एटीएम सेन्टरों से मिले सीसीटीवी फुटेज आदि के आधार पर टेक्निकल व ह्यूमन सर्विलेंस कर दोनों को बेगमपुरा मोती टॉकिज इलाके से गिरफ्तार कर लिया। थाने लाकर पूछताछ में उन्होंने पिछले एक-दो महीने में चारों घटनाओं को अंजाम देना कबूल किया।

- मित्रों व रिश्तेदारों से लिए थे कार्ड

क्राइम ब्रांच के मुताबिक दिलीप और सूरज से प्राथमिक पूछताछ में उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। दोनों कडोदरा क्षेत्र की मिलों में मजूदरी करते हैं। उन्होंने बताया कि फ्रॉड की इस ट्रिक का पता चलने पर उन्होंने बहाने बना कर मित्रों व रिश्तेदारों से उनके एटीएम कार्ड और पिन ले लिए थे। फिर उनका इस्तेमाल कर बैंक के साथ फ्रॉड कर रहे थे।

- एसबीआई के एटीएम में लूप फॉल्ट

पूछताछ में उन्होंने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम सेन्टरों में सॉफ्टवेर का लूप फॉल्ट था। जिसका वे फायदा उठाते थे। वे मशीन में कार्ड व पिन डालकर दस हजार रुपए का ट्रांजेक्शन करते थे। उसके बाद कैश डिस्पेंसर ट्रे में उंगली फंसाकर रुपए खींच लेते थे। अगले दिन संबंधित बैंक के कस्टमर केयर में कॉल कर ट्रांजेक्शन फेल होने की शिकायत कर रिफंड हासिल करते थे।
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