
रांदेर और लिंबायत में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू
सूरत. राज्य सरकार ने रविवार को जाहेरनामा जाहिर कर शहर के रांदेर और लिंबायत क्षेत्र में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू कर दिया। इसके बाद इन प्रभावित क्षेत्रों में जिला कलक्टर की मंजूरी के बगैर संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लग गई है।
शहर के विभिन्न इलाकों में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की मांग नई नहीं है। बरसों से लोग इसकी मांग करते आ रहे हैं। इसके लिए संबंधित क्षेत्रों में कुछ लोगों के डरा-धमका कर जबरन संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करने की बात कही जाती रही है। राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में जाहेरनामा जारी कर पुराने शहर के वार्ड एक से १२ तक के क्षेत्र में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू कर दिया था।
शहर के रांदेर और लिंबायत जोन के कुछ इलाकों में भी अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की मांग उठ रही थी। विधानसभा 2017 के चुनावों के दौरान इस मांग ने और जोर पकड़ा था। सूरत पश्चिम विधायक पूर्णेश मोदी ने जहां अपने क्षेत्र की कई कालोनियों और मोहल्लों में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की मांग की थी। लिंबायत विधायक ने भी अपने क्षेत्र में लोगों को डरा-धमकाकर और प्रताडि़त कर संपत्तियां औने-पौने दाम में बेचने के लिए मजबूर करने की शिकायत करते हुए अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की मांग की थी।
तत्कालीन कलक्टर ने इन मामलों को राज्य सरकार के पास भेजा था। राज्य सरकार ने कलक्टर और पुलिस कमिश्नर से दोनों मामलों की जांच कर अलग-अलग विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार की रविवार को हुई बैठक में इस पर निर्णय किया गया। बैठक के बाद गृहराज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों के प्रभावित क्षेत्रों में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू कर दिया गया है। सरकार ने इसका जाहेरनामा भी जारी कर दिया है।
यह है अशांत क्षेत्र अधिनियम
जब भी ऐसी स्थिति बनती है कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से लोगों के लिए उस क्षेत्र में रहना मुश्किल हो जाए तो प्रभावित लोग औने-पौने दामों में अपनी संपत्तियां बेचकर निकलने लगते हैं। कई बार संपत्तियों को सस्ते दाम में खरीदने के लिए भी इस तरह की स्थितियां आसपास के लोग बना देते हैं। इन स्थितियों से बचने के लिए प्रभावित इलाके में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की मांग उठती है तो कलक्टर इसे राज्य सरकार को भेजता है। मामले का अध्ययन कर राज्य सरकार कलक्टर और पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मंगाती है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य सरकार अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने का निर्णय करती है। एक बार प्रभावित क्षेत्र में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू होने के बाद इन क्षेत्रों में जमीन और संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के लिए कलक्टर की मंजूरी जरूरी हो जाती है।
Published on:
15 Mar 2020 09:23 pm
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