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FEE ISSUE : दक्षिण गुजरात के 97 और स्कूलों की फीस घटाई

सत्र 2017-18 और 2018-19 की प्रोविजनल फीस तय

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SURAT

FEE ISSUE : दक्षिण गुजरात के 97 और स्कूलों की फीस घटाई

सूरत.

सूरत जोन की फीस नियामक समिति (एफआरसी) ने गुरुवार को दक्षिण गुजरात के 97 से अधिक स्कूलों की फीस तय कर इनकी सूची जारी की है। सूची में सूरत से तापी तक के स्कूलों के नाम शामिल हैं। एफआरसी ने स्कूलों की फीस में 550 रुपए से 60 हजार रुपए तक कटौती की है।
एफआरसी ने 14वें राउंड की जो सूची जारी की है, उसमें सूरत, नवसारी, वलसाड, भरुच, नर्मदा और तापी के स्कूलों के नाम शामिल हैं। सूरत जोन एफआरसी को सरकार ने पूरे दक्षिण गुजरात के स्कूलों का जिम्मा सौंप रखा है। एफआरसी ने शैक्षणिक सत्र 2017-18 और 2018-19 के लिए स्कूलों की प्रोविजनल फीस तय की है। सूची में सूरत जिले के 62, वलसाड के 13, नवसारी के 7, नर्मदा के 6, भरुच के 6, तापी के 3 स्कूलों के नाम शामिल हंै। इनमें गुजरात बोर्ड के साथ सीबीएसइ बोर्ड के स्कूल भी हैं। एफआरसी ने जूनियर-सीनियर के.जी, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक, सभी माध्यमों की फीस तय की है। सूची में कई स्कूल ऐसे हैं, जिनकी जूनियर और सीनियर केजी माध्यम की फीस ही एक लाख रुपए से अधिक है।


पिछले लंबे समय से निजी स्कूलों की फीस को लेकर विवाद चल रहा था। एफआरसी की ओर से तय फीस को कई निजी स्कूल स्वीकार नहीं रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में चलने की बात कहकर मनमानी फीस वसूल रहे हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एफआरसी की ओर से तय फीस स्कूलों को मानने का आदेश दिया गया है। इससे पहले स्कूल एफआरसी की ओर से तय फीस स्वीकार करते नहीं थे। एफआरसी के पास ऐसे कई स्कूलों की शिकायत पहुंची है। हालांकि एफआरसी नेे शहर के किसी भी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। एफआरसी की दलील होती थी कि स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने का उनके पास कोई अधिकार नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब एफआरसी पावर में आ गया है। एफआरसी के सदस्यों का कहना है कि अब स्कूल तय फीस स्वीकार नहीं करेगा तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पहले तो 5 लाख से 10 लाख तक का जुर्माना वसूला जाएगा। फिर भी आदेश का पालन नहीं किया तो स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी। एफआरसी का यह भी कहना है कि इस मामले में अभी तक सरकार की ओर से उन्हें कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिली है। मामला सुप्रीम कोर्ट में चलने के कारण उनके हाथ बंधे थे। अब जब अभिभावकों के पक्ष में फैसला आया है तो एफआरसी के अधिकार का पूरा उपयोग किया जाएगा।