
Jilani bridge ready, still wait to be done
सूरत।बरसों से अटका जिलानी ब्रिज बनकर तैयार हुआ तो इसकी लाइटिंग का मामला स्थाई समिति में अटक गया है। तकनीकी खामी पर समिति ने ब्रिज पर लाइटिंग के प्रस्ताव को फिलहाल मुल्तवी रख लिया है। जैसे हालात बन रहे हैं, माना जा रहा है कि रास्ता खुलने में आचार संहिता का पेंच फंस सकता है। हालांकि अधिकारियों की कोशिश है कि आगामी दिनों में स्थाई समिति की आपत्तियों का निस्तारण कर ब्रिज पर लाइटिंग के प्रस्ताव को हरी झंडी दिलाई जाए।
रांदेर में जिलानी काम्प्लेक्स से कतारगाम में पालिया कोतर को जोड़ता यह ब्रिज बरसों से फाइलों में अटका रहा। ब्रिज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष कई मौकों पर कई बार उलझे और आरोप-प्रत्यारोप लगे। किसी तरह ब्रिज पर सत्तापक्ष में सहमति बनी और इसका निर्माण शुरू हुआ। जिस ब्रिज की लागत पहले १९० करोड़ रुपए आंकी गई थी, वह बढक़र २२७ करोड़ रुपए तक पहुंच गई। ब्रिज के प्रस्ताव पर अमल में आने तक इसका स्वरूप भी बदल गया और यह ब्रिज हाई लेवल रिवर ब्रिज के साथ ही मल्टीलेवल फ्लाईओवर ब्रिज में तब्दील हो गया।
अब जब ब्रिज बनकर तैयार हो गया है, पिछले दिनों हुई स्थाई समिति की बैठक में इसकी लाइटिंग के प्रस्ताव को तकनीकी कारणों से लंबित रख दिया गया। जानकारों के अनुसार यदि स्थाई से जल्द सहमति नहीं मिली तो ब्रिज के उद्घाटन की तैयारी पर आचार संहिता का पेंच फंस सकता है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में किसी भी दिन चुनावों का ऐलान हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो जिलानी से नदी पार कोतर पालिया जाने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
तीसरी बार हुआ था टेंडर
मनपा प्रशासन ने जिलानी ब्रिज पर लाइटिंग का प्रस्ताव तीसरी बार आमंत्रित किया था। एक बार इसके भाव घटाने के लिए मनपा की टेंडर स्क्रूटनी कमेटी ने प्रस्ताव को लंबित रखा था। ठेकेदार से सहमति मिलने के बाद पिछले दिनों हुई टेंडर स्क्रूटनी कमेटी की बैठक में इसे हरी झंडी दी गई थी। अंतिम मंजूरी के लिए मनपा प्रशासन ने प्रस्ताव स्थाई समिति को भेजा था। समिति ने ड्राफ्ट में तकनीकी चूक का हवाला देकर लाइटिंग के प्रस्ताव को फिलहाल लंबित रखा है।
नदी पर सबसे लंबा ब्रिज
शहर में तापी नदी पर बने ब्रिजों में जिलानी ब्रिज सबसे लंबा है। जिलानी काम्प्लेक्स और पालिया कोतर दोनों ओर एप्रोच के साथ पुल की लंबाई करीब तीन किमी है, जिसमें १३४५ मीटर का हिस्सा नदी क्षेत्र का है। यह ब्रिज जिलानी काम्प्लेक्स से पालिया कोतर को जोड़ते हुए फोर लेन रहेगा और रांदेर में अडाजण पाटिया को थ्री लेन सिस्टम से जोड़ेगा। ब्रिज की एक एप्रोच कोजवे को अप और डाउन स्ट्रीम से जोड़ेगी।
पुल की लंबाई
२९९५.३५८
मीटर (दोनों ओर
एप्रोच के साथ)
रिवर पोर्शन
१३४५
मीटर
कतारगाम की ओर नदी पर चौड़ाई
१९.५०
मीटर फोर लेन
रांदेर की ओर अडाजण पाटिया सर्किल की ओर चौड़ाई
१२
१२ मीटर तीन लेन(अनडिवाइडिड अप एण्ड डाउन)
कोजवे की ओर एप्रोच के लिए
८.५
मीटर
अप
८.५
मीटर डाउनस्ट्रीम
वेडरोड जंक्शन फ्लाईओवर से मिलेगी राहत
मनपा प्रशासन जिलानी ब्रिज के साथ ही नदी पार वेडरोड जंक्शन फ्लाईओवर पर भी काम कर रहा है। फ्लाईओवर पर आवागमन शुरू होने के बाद जिलानी ब्रिज से कतारगाम दरवाजा पर बढऩे वाले यातायात दबाव से राहत मिलेगी।
मनपा प्रशासन को पहले से एहसास था कि जिलानी ब्रिज पर आवागमन शुरू होने और नदी पार बीआरटीएस शुरू होने से उस क्षेत्र में यातायात दबाव बढ़ेगा। खासकर कतारगाम दरवाजा होकर रेलवे स्टेशन जाने वाले लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी। इसीलिए मनपा टीम ने वेडरोड जंक्शन फ्लाईओवर पर भी उसी समय काम शुरू कर दिया था। पहले दोनों ब्रिज कुछ महीनों के अंतराल पर ही शुरू करने की योजना थी, लेकिन वेडरोड जंक्शन फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट तकनीकी उलझनों में फंस गया और शिड्यूल्ड समय से करीब डेढ़ साल पीछे रह गया। जब जिलानी ब्रिज पर काम पूरा हो चुका है, फ्लाईओवर का काम शुरू हुआ है। यह काम लगभग डेढ़ साल में पूरा हो जाएगा।
मनपा प्रशासन का मानना है कि जब तक जिलानी ब्रिज पर कोजवे, नेहरू ब्रिज और सरदार ब्रिज का ट्रैफिक शिफ्ट होगा और कतारगाम दरवाजा पर यह मुश्किल खड़ी करेगा, फ्लाईओवर इसके दबाव को कम करने में सहायक होगा।
यूं शिफ्ट होगा ट्रैफिक
रांदेर से कतारगाम जाने वाले लोगों को सरदार ब्रिज और नेहरू ब्रिज से होकर जाना पड़ता है। जिलानी ब्रिज पर आवागमन शुरू होने से सरदार ब्रिज और नेहरू ब्रिज पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। जानकारों के मुताबिक नदी पार कर रेलवे स्टेशन जाने के लिए यदि रांदेर-अडाजण के लोगों ने जिलानी ब्रिज का इस्तेमाल शुरू कर दिया तो कतारगाम दरवाजा के पास ट्रैफिक की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मक्कई पुल और कोजवे का ट्रैफिक भी जिलानी ब्रिज पर शिफ्ट होगा।
यह पड़ेगा असर
मनपा प्रशासन के आंकलन के मुताबिक नेहरू ब्रिज, सरदार ब्रिज और कोजवे से नदी पार जाने वाला टैफिक ३० से ३५ फीसदी तक जिलानी ब्रिज पर शिफ्ट हो जाएगा। इससे तीनों ब्रिजों पर भी लोगों को ट्रैफिक के दबाव से राहत मिलेगी। फिलहाल सरदार ब्रिज से तीन लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं। नेहरू ब्रिज से डेढ़ लाख, मक्कई पुल से एक लाख और कोजवे से ५० हजार वाहन गुजरते हैं। इस हिसाब से जिलानी ब्रिज को शुरुआत मेें ही करीब दो लाख का ट्रैफिक मिलेगा। जिलानी ब्रिज पर आवागमन शुरू होने से कतारगाम दरवाजा पर लोगों को करीब एक साल तक ट्रैफिक की समस्या से जूझना पड़ सकता है। एक बार वेडरोड जंक्शन फ्लाईओवर पर यातायात शुरू होने के बाद यहां भी लोगों को ट्रैफिक से राहत मिल जाएगी।
Published on:
02 Sept 2017 10:25 pm
बड़ी खबरें
View Allसूरत
गुजरात
ट्रेंडिंग
