
मौसम की बेरुखी से आम का उत्पादन घटा
सिलवासा. उत्पादन की कमी से फलों के राजा आम का स्वाद चखने के लिए ग्राहकों को ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं। प्रतिकूल मौसम के चलते इस बार आम के उत्पादन में काफी कमी आई है। मार्च-अप्रेल की बेमौसम बारिश से आम की फसल को नुकसान हुआ है। किसानों के अनुसार गत वर्ष की अपेक्षा पेड़ 30 से 40 प्रतिशत कम फले हैं। मार्च-अप्रेल में आंधी-धूल ने आम की फसल को चौपट कर दिया है। अल्फांसो, चौसा, लगड़ा, नीलम, केसर, रत्नागिरी, दशहरी, हिमसागर के वृक्षों पर बहुत कम फल लगे हैं। मार्च-अप्रेल में मौसम की मार से दुधनी, खेरड़ी, आंबोली, नरोली, मसाट, रखोली, खानवेल की आम वाडिय़ों में कच्चे फल झड़ गए हैं।
इन दिनों आम का सीजन चल रहा है। मंडियों में आम की आवक धीरे-धीरे बढ़ रही है। फल व्यापारी जेपी सिंह ने बताया कि आम का सीजन 100 दिन का रहता है, मंडियों में अल्फांसो, बादामी, तोतापुरी के साथ आम की शुरुआत हुई है। शुरुआत दौर में आम की कीमत 60 से 80 रुपए प्रति किलो चल रही है। धरमपुर, उमरगांव की मंडियों में केसर एक हजार से 1200 रुपए प्रति 20 किलो है, जो पिछले साल से 30-40 फीसदी महंगा है। अगेती फसलों के कच्चे आम बाजारों में 30 से 40 रुपए किलो के भाव से बिक रहे हैं। यह फल पेड़ से तोडक़र पकाए जाते हैं। पकाने में एक सप्ताह का समय लगता है। व्यापारियों के अनुसार करमबेले की मंडी में आम दूसरे सप्ताह में आने की संभावना है।
जुलाई में आएगा लंगड़ा:-व्यापारियों के अनुसार लंगड़ा आम की आवक जुलाई से पहले संभव नहीं है। इस बार स्थानीय बागों में लंगड़ा के पेड़ बहुत कम फले हैं। यह आम जुलाई के शुरुआती दिनों में यूपी की मंडियों से ज्यादा आता है। फिलहाल कैरी का आचार डालने के लिए भी मंडियों से पर्याप्त आम नहीं मिल रहे हैं। आचार के लिए तोतापुरी, लड्डुआ, देसी, राजापुरी उत्तम माने जाते हैं। इस साल राजापुरी का उत्पादन भी बहुत कम है।
Published on:
04 May 2019 06:47 pm
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