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‘समता बगैर समाज की कल्पना अधूरीÓ

अलथाण रोड पर श्रीरामकथा

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'समता बगैर समाज की कल्पना अधूरीÓ

सूरत. सामाजिक समरसता श्रीरामकथा संघ एंव श्रीप्रभु नारायण मानव सेवा ट्रस्ट, बमरोली के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय सामाजिक समरसता श्रीरामकथा में सोमवार को व्यासपीठ से पं. नवलेश दीक्षित ने राम-नाम का गुणगान किया। गौ चिकित्सा सहायतार्थ आयोजित कथा में उन्होंने बताया कि राम को समाज में भक्ति के माध्यम से स्थापित करने वाले तुलसीदासजी की रचना राम चरित मानस में भक्ति-भावना लोकमंगल से प्रेरित है। गौर करने वाली बात यह है कि महाकवि तुलसी ने राम के चरित्र में शील, शक्ति और सौंदर्य को विकसित करके लोकसंग्रह की साधना के मार्ग को प्रशस्त किया। इसके अतिरिक्त समाज में समरसता लाने के लिए उन्होंने समन्यवयात्मक दृष्टिकोण अपनाया। तुलसी ने छोटे-बड़े 12 ग्रंथों- दोहावली, कवितावली, गीतावली, रामचरित मानस, रामाज्ञा प्रश्नावली, विनय पत्रिका, रामलला नवधू, पार्वती मंगल, बरवै रामायण आदि की रचना करके समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया ।

बेसते माह का महामांगलिक कल


श्रीअचलगच्छ जैन श्रीसंघ ट्रस्ट की ओर से बुधवार को महामांगलिक का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम आचार्य सर्वोदयसागर महाराज के शिष्य मुनि उदयरत्नसागर महाराज व मुनि गुणवल्लभसागर महाराज के सानिध्य में परवत पाटिया के पास राजपूत समाज की वाड़ी में आयोजित होगा। इसमें गुरु भगवंतों की ओर से सुबह साढ़े छह से साढ़े आठ बजे तक बेसते माह का महामांगलिक का श्रवण कराया जाएगा।