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SURAT KAPDA MANDI: छमाही बाद भी नहीं खुली सैकड़ों दुकानें

सारोली में 50 तो रिंगरोड कपड़ा बाजार में अब भी बंद है 20 फीसद दुकानें

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SURAT KAPDA MANDI: छमाही बाद भी नहीं खुली सैकड़ों दुकानें

SURAT KAPDA MANDI: छमाही बाद भी नहीं खुली सैकड़ों दुकानें

सूरत. लॉकडाउन की छमाही सितम्बर के साथ ही बीत गई, लेकिन कपड़ा बाजार के हालात में कुछ खास परिवर्तन अब भी देखने को नहीं मिल रहा है। स्थिति यह है कि अनलॉक-1.0 की शुरुआत में खुले कपड़ा बाजार में महज 25-30 फीसदी दुकानें ही अतिरिक्त खुली है अन्यथा आज भी रिंगरोड कपड़ा बाजार में 20-25 फीसदी दुकानें बंद ही है।
लग्नसरा सीजन के ऐनवक्त पर कोरोना महामारी की वजह से लागू हुए लॉकडाउन के दौरान सूरत कपड़ा मंडी पूरे 72 दिनों तक लगातार बंद रही। चेन आधारित कपड़ा कारोबार जब अनलॉक हुआ तब स्थिति यह थी कि जून में 70-80 हजार कपड़ा व्यापारियों में से आधी संख्या में भी सूरत कपड़ा मंडी में मौजूद नहीं थे। अब जब सितम्बर बीतने के साथ ही छमाही पूरी हो गई है तब भी कपड़ा बाजार की स्थिति में खासा परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। मौजूदा हालात में भी रिंगरोड व सारोली कपड़ा बाजार के अधिकांश टैक्सटाइल मार्केट के प्रत्येक फ्लोर व गलियारे में बंद दुकानें आसानी से देखने को मिल सकती है।


दुकानें बंद की कई हैं वजह


लॉकडाउन के दौरान गांव-घर को लौटे व्यापारियों में से 10 से 15 फीसदी ऐसे व्यापारी है जो अपनी व्यापारिक परिस्थिति के मद्देनजर अब तक नहीं लौटे हैं। दूसरे वे व्यापारी है जिनके पहले 2 अथवा 4 दुकानें थी और अब उन्होंने व्यापार के अभाव में इसे एक अथवा दो की संख्या में बदल दिया है। इसके अलावा कपड़ा बाजार के विभिन्न टैक्सटाइल मार्केट में दुकानें अब तक बंद होने की वजह है जिसमें कई व्यापारी ऐसे है उनकी व्यापारिक गतिविधि की चेन अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई है, जिसकी वजह से वे दुकानें खोलने से कतरा रहे हैं।


सारोली कपड़ा बाजार में यह स्थिति अधिक


रिंगरोड कपड़ा बाजार की अपेक्षा सारोली कपड़ा बाजार में भले ही दुकानें बड़ी और भाड़ा कम तथा सुविधाएं अधिक का आकर्षण कपड़ा व्यापारियों के लिए है, लेकिन यह भी मौजूदा स्थिति में मुश्किल का कारण बना हुआ है। रिंगरोड पर भी दुकानों के किराए में 30 फीसद कमी लॉकडाउन के बाद हुई है तो जो व्यापारी सारोली की ओर मुड़ गए थे वे भी वापस रिंगरोड पर आए हैं। दूसरा बड़ा कारण यह भी बताया गया कि सस्ते भाड़े में सारोली कपड़ा बाजार में दुकानें तो बड़ी मिल जाती है पर उन्हें व्यापारिक लिहाज से मेंटेन करना मौजूदा स्थिति में सभी व्यापारियों के लिए संभव नहीं है।


नहीं खुल रही दुकानें


सितम्बर में छमाही बीत गई मगर स्थिति यह है कि लॉकडाउन के दौरान लौटे कपड़ा व्यापारियों में से भी कई नहीं लौटे हैं। वहीं, किराएदार दुकानदार भी छोटी व सस्ती दुकान की तलाश में पुरानी दुकानें बंद कर रहे हैं।
रेंद्र साबू, प्रमुख, सूरत मर्कंटाइल एसोसिएशन


जरूरत है सरकारी राहत की


महानगरपालिका सड़क किनारे लारी-गल्ला व गुमटी लगाने वाले को कोरोना से उपजे संकटकाल में ऋण दे रही है तो सरकार को देश के दूसरे बड़े कपड़ा उद्योग में दिन-रात एक करने वाले व्यापारियों की मौजूदा स्थिति भी समझनी ही चाहिए।
दिनेश कटारिया, सचिव, गुडलक मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन


नई दुकानों की शुरुआत नाममात्र


रिंगरोड कपड़ा बाजार तो ठीक, लेकिन सारोली कपड़ा बाजार में भी लॉकडाउन के बाद अनलॉक हुए कपड़ा कारोबार में नई दुकानों की ऑपनिंग नाममात्र ही है। यह संकेत फिलहाल रिंगरोड व सारोली कपड़ा बाजार के लिए ठीक नहीं है।
मदनलाल राठी, रीयल एस्टेट ब्रोकर