
SURAT NEWS: कोई इक्का-दुक्का ही बाकी, सबको मिली चुनाव निशानी
सूरत. सूर्यनगरी तापी के सूरत की महिमा में शुमार है कि इस पुण्य धरा पर पहुंचने वाले की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक सफलता के आसार बढ़ जाते हैं। कहा जाता है कि सूरत में रात को काेई भूखा नहीं सोता..इसीलिए विभिन्न राज्यों के प्रवासियों के रोजगार की धरती है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान चुनाव में बतौर प्रत्याशी भाग ले रहे कई नेता ऐसे हैं जो पार्टी टिकट मिलने से पहले व बाद में भी सूरत आकर अपनी-अपनी विधानसभा के प्रवासियों से सम्पर्क कर जा चुके हैं। ऐसे नेताओं की संख्या डेढ़ दर्जन तक है और अब इन सभी को 25 नवंबर को मतदान के बाद 3 दिसंबर को मतगणना में जीत का इंतजार है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियों में टिकटों की माथापच्ची इस बार जमकर चली। प्रत्येक विधानसभा में दावेदारों की लंबी सूची की काट-छांट में पार्टी नेताओं को भी खूब पसीने छूटे। इन सबके बावजूद भाजपा-कांग्रेस की टिकट के दावेदार नेता ऐसे भी थे जो मानों अपनी टिकट की सुनिश्चितता ही ‘सूरत’ पहुंचने में मानते थे। दीपावली से पहले तक मारवाड़, मेवाड़ व शेखावाटी क्षेत्र की डेढ़ दर्जन से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र के दावेदार व प्रत्याशी सूरत आए। यहां सभी ने अपने-अपने क्षेत्र के प्रवासी राजस्थानियों से सूरत के मिनी राजस्थान परवत पाटिया समेत अन्य क्षेत्र में सम्पर्क साधा और पीले चावल देकर चुनाव का न्योता दिया। इस सिलसिले की शुरुआत 22 अक्टूबर को नोखा विधानसभा के पूर्व विधायक व राजस्थान सरकार के संसदीय सचिव रहे कन्हैयालाल झंवर से हुई जो दीपावली से पहले 9 नवंबर तक चला। इस दौरान भी कुंभलगढ़, सांचोर व सोजत सीट के प्रत्याशियों ने सूरत में डेरा डाला था।
- इन विधानसभा के आए पार्टी प्रत्याशी :
सूरत समेत दक्षिण गुजरात में प्रवासी राजस्थानी लाखों की संख्या में बसे हैं। इन सभी का अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में नेताओं से सीधा सम्पर्क होने से यहां प्रत्येक चुनाव में पार्टी प्रत्याशी व दावेदारों के पहुंचने का क्रम बना रहता है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सबसे पहले इस बार मारवाड़ की चर्चित बायतू सीट से भाजपा प्रत्याशी बालाराम मूंड सूरत आए। उनके बाद नोखा से निर्दलीय कन्हैयालाल झंवर, लक्क्ष्मणगढ़ से भाजपा के सुभाष महरिया, धोद से गोवर्धन वर्मा, परबतसर से मानसिंह किनसरिया, सिरोही से भाजपा के ओटाराम देवासी व कांग्रेस के संयम लोढ़ा, रेवदर से जगसीराम कोली, आहोर से छगनसिंह राजपुरोहित, रानीवाड़ा से नारायणसिंह देवल, बाड़मेर से कांग्रेस के मेवाराम जैन, गोगुंदा से भाजपा के प्रताप गमेती, जालोर से जोगेश्वर गर्ग, पोकरण से महंत प्रतापपुरी, कुंभलगढ़ से सुरेंद्रसिंह राठौड़, सांचोर से देवजी पटेल, सोजत से शोभा चौहान आदि सूरत आकर गए।
- सूरत पहुंचना बन चुकी है चुनावी परंपरा :
दो दशक से लगातार प्रत्येक विधानसभा चुनाव में राजस्थान के पार्टी नेताओं के चुनाव से ठीक पहले सूरत आने का सिलसिला जारी है। इस बार सूरत पहुंचे पार्टी प्रत्याशियों में कई नाम ऐसे भी है जो 20 साल पहले 2003 के विधानसभा चुनाव में भी सूरत में बसे अपनों के बीच पहुंचकर अपणायत बांट चुके हैं। इनमें कन्हैयालाल झंवर, ओटाराम देवासी, जगसीराम कोली, जोगेश्वर गर्ग, मेवाराम जैन आदि नाम शामिल है, जो इस बार भी क्षेत्रीय जनता के बीच चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। 2003 के विधानसभा चुनाव में वसुंधराराजे सिंधिया, ओम माथुर, गुलाबचंद कटारिया समेत कई नेता भी सूरत आकर प्रवासी राजस्थानियों के बीच पीले चावल बांटकर गए थे। हालांकि इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में अवश्य पार्टी के बड़े नेताओं की सभा व सम्पर्क कार्यक्रम सूरत में नहीं हो पाए, लेकिन पार्टी प्रत्याशियों व दावेदार अवश्य अच्छी-खासी संख्या में सूरत पहुंचे।
Published on:
18 Nov 2023 09:02 pm
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