
new asteroid सूरत की बेटियों ने खोजा मंगल की कक्षा में घूम रहा नया ऐस्टरॉइड
सूरत. जब सूरत समेत देशभर में संक्रमण के कारण लोगों को कुछ नहीं सूझ रहा था, सूरत की दो छात्राओं ने अंतरिक्ष में एक नया ऐस्टरॉइड खोज लिया। इसकेे आकार पर अभी शोध हो रहा है, लेकिन कम से कम अडाजण से तो बड़ा है। हालांकि पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन यदि टकराया तो पूरी मानव जाति पर खतरा होगा। नासा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि फिलहाल यह मंगल की कक्षा में घूम रहा है। अगले आठ-दस बरस में यह पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करेगा। ऐस्टरॉइड की खोज करने वाली दोनों छात्राओं ने इसे एचएलवी डब्ल्यूजेडवी (॥रुङ्क251) नाम दिया है। सूरत ही नहीं गुजरात में पहली बार किसी ने कोई ऐस्टरॉइड खोजा है।
नए ऐस्टरॉइड की खोज का श्रेय शहर के पीपी सावनी चैतन्य विद्या संकुल में पढ़ रही वैदेही वेकारिया और राधिका लखानी को है। दोनों छात्राएं अंतरिक्ष में रिसर्च के लिए नासा से संबद्ध ऑल इंडिया ऐस्टरॉइड सर्च कैम्पेन का हिस्सा बनीं और इस ऐस्टरॉइड को खोज निकाला। नासा ने उनकी इस खोज की पुष्टि करते हुए नए ऐस्टरॉइड का नामकरण एचएलवी डब्ल्यूजेडवी किया है।
दोनों छात्राओं ने स्पेस इंस्टीट्यूट से ऐस्ट्रॉनामिकल स्टडी की ट्रेनिंग ली थी। नासा ने ई-मेल भेजकर खोज की पुष्टि भी की। ऑल इंडिया ऐस्टरॉइड सर्च कैम्पेन के निदेशक डॉक्टर पैट्रिक मिलर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह ऐस्टरॉइड अभी यह मंगल ग्रह के नजदीक है। कुछ वर्षों बाद यह पृथ्वी को भी क्रॉस कर सकता है।
मूल भावनगर जिले की वैदेही और अमरेली जिले की राधिका ने बताया कि उन्होंने स्पेस में करीब 20 ऑब्जेक्ट्स को चिह्नित किया था। उसी दौरान हमें यह ऐस्टरॉइड मिला। स्पेस इंस्टीट्यूट के एजुकेटर आकाश द्विवेदी ने बताया कि सूरत ही नहीं गुजरात में पहला अवसर है जब किसी ने नए ऐस्टरॉइड की खोज की हो। हालांकि चार साल पहले बार और देश में चार साल बाद किसी नए ऐस्टरॉइड की खोज हुई है ।
इस तरह मिला ऐस्टरॉइड
नासा ने वर्ष 1998 में ऐस्टरॉइड्स की तलाश शुरू की थी। इसके लिए दुनियाभर में अभियान चलाया गया था। भारत में भी ऑल इंडिया ऐस्टरॉइड सर्च कैम्पेन शुरू किया गया। बीते एक दशक से सूरत में भी कैम्पेन चल रहा है। इसके तहत प्रतिभाशाली बच्चों को स्पेस साइंस से जोड़ा जाता है। नासा हवाई में स्थापित पैनस्टार टेलिस्कोप से तस्वीरें खींचकर उसके सैट अध्ययन के लिए विभिन्न सेंटरों को भेजता है। एक सैट में चार तस्वीरें होती हैं जो तेजी से चलाने पर मूविंग ऑब्जेक्ट्स के परिवर्तन को दर्शाती हैं। इस तरह के आठ से दस सैट भेजे जाते हैं। दसवीं कक्षा की छात्राओं राधिका और वैदेही ने इन सैट्स को एस्ट्रोमेट्रिका सॉफ्टवेयर पर डिकोड कर मूविंग ऑब्जेक्ट पर नजर रखी और नए ऐस्टरॉइड की खोज की।
Updated on:
27 Jul 2020 07:45 pm
Published on:
27 Jul 2020 07:21 pm
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