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इस साल भी मुश्किल होगा पाल-उमरा ब्रिज पर वाहनों का दौडऩा

उमरा गांव की जमीन संपादन मामले में राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण पाल-उमरा ब्रिज का निर्माण इस साल भी पूरा होने में संदेह है। ब्रिज का 80 फीसदी...

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This year too it will be difficult to run vehicles on Pal-Umra Bridge

This year too it will be difficult to run vehicles on Pal-Umra Bridge

सूरत।उमरा गांव की जमीन संपादन मामले में राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण पाल-उमरा ब्रिज का निर्माण इस साल भी पूरा होने में संदेह है। ब्रिज का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है, बाकी का 20 फीसदी काम उमरा तरफ की जमीन का कब्जा मिले बगैर संभव नहीं है। मनपा की स्थाई समिति ने जमीन के अनिवार्य संपादन को मंजूरी करीब आठ-नौ महीने पहले ही दे रखी है, पर इसमें भी बातचीत का विकल्प रखा गया था। कई बैठकों के बाद भी यह बेनतीजा ही साबित हुआ है।

ब्रिज का स्थान बदलने को लेकर उमरा गांव के लोगों के लंबे विरोध से पाल-उमरा तापी ब्रिज का निर्माण कार्य कई साल तक अटका रहा था। मनपा की स्थाई समिति ने ब्रिज के काम को 23 जुलाई, 2015 की मीटिंग में मंजूरी देकर ठेकेदार फर्म विजय मिस्त्री को सौंपा तो लोगों की उम्मीद जगी कि अब तेजी से काम आगे बढ़ेगा।


ठेकेदार फर्म ने वर्क आर्डर मिलने के बाद काम तेजी से शुरू किया और पाल साइड से काम चलता रहा। ब्रिज का काम पूरा करने का समय दो साल तय किया गया था, जो पिछले साल पूरा हो चुका है। ब्रिज का अब तक 80 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है। इस वजह से यह उम्मीद जगी थी कि वर्ष 2018 में यह ब्रिज लोगों को मिल जाएगा। हालांकि जिस तरह से उमरा गांव की जमीन संपादन में राजनीतिक दखलअंदाजी की जा रही है, उससे नहीं लगता कि इस साल भी यह ब्रिज लोगों को मिल सकेगा।

यह है मुश्किल

मनपा की स्थाई समिति ने पिछले साल जून-जुलाई में ब्रिज के एप्रोच में आ रही उमरा गांव की जमीन का अनिवार्य संपादन का प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में बातचीत का भी विकल्प रखा गया था। उमरा गांव के लोग मामले को हाईकोर्ट ले गए, पर वहां भी उन्हें कुछ खास राहत नहीं मिली। कोर्ट ने मनपा आयुक्त को प्रभावितों का पक्ष सुनने को कहा था। इसके बाद मनपा आयुक्त के प्रयास के बाद उमरा गांव के लोगों के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस समझौता नहीं हुआ है। गांव के लोग अपनी जमीन के बदले जमीन और इस पर मकान बनाने का खर्च मांग रहे हैं। मनपा की परेशानी यह है कि उसने जमीन संपादन मामले में शहर में एक भी व्यक्ति को इस फार्मूले से मुआवजा नहीं दिया है। इस वजह से मनपा यहां फंसी हुई है।

सरकार से मंजूरी का इंतजार

मनपा अधिकारी मामले में सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। अनिवार्य संपादन के मामले में मनपा की स्थाई समिति की मंजूरी के बाद सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। इस वजह से जब तक सरकार का इस संबंध में कोई परिपत्र नहीं आता है, मनपा के पास इंतजार करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।

शीघ्र कुछ हल निकलेगा

& उमरा गांव के लोगों से बातचीत चल रही है। सरकार से अनुमति मिलने में दो-तीन साल लग सकते हंै। जोर-जबरदस्ती से किसी का मकान नहीं तोड़ा जा सकता है। आशा रखते हैं, शीघ्र ही कुछ हल निकलेगा।
सी.आर.पाटिल, सांसद, नवसारीसरकार से निर्णय का इंतजार

& सरकार से अनिवार्य संपादन की मंजूरी मांगी है। इसके बाद ही काम कुछ आगे बढ़ेगा। ब्रिज का बाकी काम कब पूरा होगा, इस पर कुछ नहीं कह
सकते हैं। जीवन पटेल, डिप्टी कमिश्नर (पीएंडडी), मनपा