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धूमधाम से मना 350वां प्रकाश पर्व, गतका दल ने दिखाएं हैरतअंगेज कारनामे

शबद-कीर्तन के साथ लंगर व गतका का हुआ आयोजन, सिख समाज के लोगों ने सजाया विशेष दीवान

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Pranayraj rana

Jan 05, 2017

Prakash Parv

Prakash Parv

अंबिकापुर.
गुरू गोविंद सिंह का 350 वां प्रकाश पर्व गुरूवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गुरूद्वारा श्री गुरूसिंह सभा में सिख समाज के लोगों ने गुरू ग्रंथ साहिब और गुरू चरणों में मत्था टेका। प्रकाश पर्व पर विशेष दीवान सजाया गया। गुरूद्वारा में सुबह से देर रात तक दीवान सजा और संगीतमय कीर्तन किया गया। सुबह 8 बजे से देर रात तक कीर्तन जत्था और गुरूद्वारा के ज्ञानी जी द्वारा कीर्तन किया गया।


गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा द्वारा सुबह से ही दरबार सजाया गया था। जिसमें समाज के लोगों के साथ अन्य समाज के लोगों ने भी शामिल हुए। इस अवसर पर गुरूद्वारा के भाई देवेन्द्र सिंह व सुनिधि छाबड़ा, हरप्रित छाबड़ा, सिमरन छाबड़ा द्वारा शब्द किर्तन प्रस्तुत किया। शब्द कीर्तन के बाद बलराज सिंह द्वारा गुरू गोविन्द सिंह के जीवन के बारे में बताया गया।


इस अवसर पर ''मानस की जात सभी एके पहिचानबो' के बारे में बताया गया। गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह टुटेजा ने गुरू गोविन्द सिंह द्वारा देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए खालसा पंथा की स्थापना कर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने की गाथा को बताया।


उन्होंने गुरू गोविन्द सिंह द्वारा धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए दिए गए नारे के संबंध में बताते हुए कहा कि गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना करते हुए कहा था कि '' चिड़ीयो से मैं बाज तुड़ाडं, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तमै गोविन्द सिंह नाम कहाऊ' । इस दौरान गुजरात के अहमदाबाद के बाहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक किशोर चौहान, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव मौजूद थे। सभा के सचिव कुलदीप सिंह भामरा, पंजाबी युवा समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।


अटूट लंगर का हुआ आयोजन

शब्द कीर्तन के बाद गुरूद्वारा में अटूट लंगर का आयोजन किया गया। इसमें काफी संख्या में समाज के लोगों के साथ अन्य लोगों ने शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया।


पंजाबी युद्धकला गतका का हुआ प्रदर्शन

बिजनौर से आमंत्रित गतका जत्था द्वारा शाम 4 बजे से कला केंद्र मैदान में पंजाबी युद्ध कला का प्रदर्शन किया गया। लगभग डेढ़ घंटे तक लगातार गतका जत्था के सदस्यों द्वारा हैरत अंगेज कारनामे दिखाए गए। पंजाबी युद्ध कला को देखने कलाकेंद्र मैदान में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए थे।

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