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हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर, जहां अपने आप जुड़ जाती है टूटी हुई हड्डियां

हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर, जहां अपने आप जुड़ जाती है टूटी हुई हड्डियां

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Tanvi Sharma

Jun 25, 2018

hanuman

हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर, जहां अपने आप जुड़ जाती है टूटी हुई हड्डियां

मध्यप्रदेश के कटनी जिले से लगभग 35 किमी दूर मोहास गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर का चमत्कार जान कर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे । क्योंकि यह चमत्कार बहुत ही अद्भुत व अकल्पनिय हैं, जी हां यहां किसी अस्पताल से ज्यादा भीड़ हड्डी रोग से पीड़ित लोगों की लगती है। वैसे तो यहां से कोई भी हनुमान भक्त खाली हाथ नहीं लौटता लेकिन यहां विशेषतौर पर यहां हड्डी रोग से ग्रस्त लोग आते है और खुशी-खुशी ठीक होकर जाते है। कई मरीज तो यहां स्ट्रेचर पर आते हैं, तो किसी को एम्बुलेंस में लाया जाता है। लेकिन यहां हड्डी रोग से परेशान लोगों का इलाज भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति से स्वयं हो जाता है।

मंगलवार और शनिवार को होती है ज्यादा भीड़

कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करता है उसकी टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही औषधि दी जाती है, पर मंगलवार तथा शनिवार की औषधि का प्रभाव ज्यादा होता है, इसलिए इन दो दिनों में ज्यादा मरीजों की भीड़ आती है। रहवासियों का कहना है की यहां रोज लाखों की संख्या में मरीज़ आते हैं लेकिन कोई भी निराश होकर नहीं जाता। यहां मंदिर के बाहर बनी दुकानों पर हड्डियों के दर्द आदि को ठीक करने के लिए तेल भी बिकते हैं।

पीड़ितों को साधू खिलाते हैं औषधि

यह हनुमान जी का मंदिर हड्डी जोड़ने वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। यहां मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही पीड़ित व्यक्ति को आंख बंद करके राम-नाम का जाप करने की सलाह देते हैं। पीड़ित व्यक्ति जैसे ही आंख बंद कर जाप करने में मग्न रहता है तभी वहां के साधू व संत अपने सहयोगियों के साथ सभी को कोई औषधि खिलाते हैं। जो की कई तरह की जड़ी-बूटियों से मिलकर बनती है व अत: यह प्राकृतिक औषधि होती है और पीड़ित को इसे चबाकर खाना होता है। वहीं औषधि खाने के बाद उन लोगों को घर जाने के लिए बोल दिया जाता है। उसके बाद औषधि के प्रभाव और हनुमान जी के आशीर्वाद से हड्डियां जुड़ जाती हैं।

नि: शुल्क मिलती है औषधि

हनुमान जी के मंदिर में आज तक कोई भी व्यक्ति निराश होकर नहीं गया। तथा यहां मंदिर में अौषधि के लिए कोई मूल्य नहीं है और वह हर व्यक्ति को निशुल्क ही खिलाई जाती है। लेकिन भक्त फिर भी अपनी श्रद्धा से दान पेटी में डाल देते हैं। मंदिर के बाहर दुकान से तेल मिलता है। मालिश के इस तेल बहुत ही कम कीमत में मिल जाता है।