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चिंता में अन्नदाता: अत्यधिक वर्षा से किसानों की खरीफ की फसलें हुई खराब, आर्थिक संकट में घिरे

टोंक जिले में अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। जुलाई में ही औसत से कहीं अधिक बारिश ने खरीफ की फसलें तबाह कर दी हैं। किसानों ने सरकार से सर्वे व मुआवजे की गुहार लगाई है।

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टोंक

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Santosh Trivedi

Aug 02, 2025

tonk news

Photo- patrika

Tonk News: मालपुरा उपखण्ड क्षेत्र में इस बार जुलाई माह में हुई औसत से अधिक बारिश ने किसानों की खरीफ की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लगातार हो रही तेज व रिमझिम बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है। जिससे खड़ी फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। किसानों के सामने अब गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

फसलों को हुए भारी नुकसान के बाद किसानों ने सरकार से नुकसान का सर्वे करवाकर उचित मुआवजे की मांग की है। खेतों में लगातार पानी से गल गई फसलें बीते लगभग एक माह से जारी बारिश ने खरीफ सीजन की लगभग सभी फसलों, जैसे ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंग, तिलहन और मक्का को बुरी तरह प्रभावित किया है। खेतों में लगातार पानी भरा रहने से फसलें गलकर खराब हो चुकी हैं। इस स्थिति ने किसानों में गहरी निराशा और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

जुलाई में ही औसत से अधिक बारिश दर्ज

जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार क्षेत्र में अब तक मालपुरा में 779 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है जो कि गत वर्ष की वर्षा 615 मिमी से 164 मिमी अधिक है। वहीं टोरडी क्षेत्र में अब तक 1156 एमएम वर्षा दर्ज की जा चुकी है। जबकि गत वर्ष 622 मिमी से 534 एमएम अधिक वर्षा है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह अतिरिक्त बारिश केवल जुलाई माह में हुई है। जबकि अभी सावन के आठ दिन और पूरा भादवा महीना बाकी है। इससे आने वाले दिनों में और भी अधिक नुकसान की आशंका है।

80 हजार 79 हैक्टेयर में हुई है बुवाई

कृषि विभाग कार्यालय के अनुसार इस बार उपखण्ड क्षेत्र में कुल 80 हजार 79 हैक्टेयर में फसलों की बुवाई की गई थी। इसमें ज्वार 25198 हैक्टेयर, मूंग 39025 हैक्टेयर, उड़द 1127 हैक्टेयर, बाजरा 9342 हैक्टर, मक्का 1756 हैक्टेयर, मूंगफली 774 हैक्टर, तील 583 हैक्टर, अरहर 263 हैक्टर, गंवार 783, सब्जियां 414 एवं अन्य फसले 814 हैक्टर की हुई है। इन सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

फसलों के खराब होने से किसानों पर आर्थिक बोझ

किसानों ने बताया कि एक बीघा भूमि में बुवाई से लेकर कटाई तक करीब 4 हजार रुपए का खर्च आता है। फसलों के खराब होने से यह खर्चा किसानों पर भारी आर्थिक बोझ बन गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि फसलें गलने से पशुओं के लिए चारे की भी भारी कमी हो जाएगी। लगभग सवा महीने की हो चुकी फसलें खेतों में पानी भरे रहने के कारण पूरी तरह नष्ट होने के कगार पर है। भारतीय किसान संघ के गोपीलाल गोधारा एवं कलमण्डा के रोडूलाल जाट, पंचायत समिति सदस्य भंवर लाल मुवाल सहित किसानों ने राज्य सरकार से फसलों का सर्वे करवाकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।