अगस्त में होने वाले ग्रामीण व शहरी ओलंपिक खेलों एवं विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिताओं की तिथियों में टकराव की स्थिति बनने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। इससे स्कूली खेलकूद प्रतियोगिता के प्रभावित होने के आसार हैं, वहीं स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ेगा।
पीपलू. राजीव गांधी ग्रामीण एवं शहरी ओलंपिक खेलकूद प्रतियोगिताओं के आयोजन की तिथि परिवर्तन से अगस्त के प्रथम सप्ताह में होने वाली विद्यालय खेलकूद प्रतियोगिताओं की तिथियां में भी टकराव उत्पन्न होगा। ऐसे में विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिताएं जो जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक होती है, उनके विभिन्न चरण की तिथियां और राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलकूद के पंचायत, ब्लॉक, जिला स्तर व राज्य स्तर तक की गतिविधियों होने में काफी समय लगेगा।
पिछले सत्र भी ग्रामीण ओलंपिक खेलकूद अगस्त-सितंबर में होने के कारण विद्यालय खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन देरी से हो पाया था। जिसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई साल भर बाधित हुई।
अवकाश, खेलकूद और पढ़ाई
अगस्त में विद्यालयों में स्वतंत्रता दिवस को लेकर पूर्वाभ्यास शुरू हो जाता है। ऐसे में 15 अगस्त तक विद्यालयों में कार्यक्रम चलते हैं। इसके बाद खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं तो सितम्बर तक उक्त कार्यक्रम चलेगा। इस दौरान पढ़ाई भी होनी है। ग्रामीण ओलम्पिक के चलते विद्यालय स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताएं आगे खिसकती है तो फिर नवम्बर तक खेलकूद ही होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी।
विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता
समय पर आयोजित की जाए
शिक्षक संघों के पदाधिकारी दिनेश सोनी, भंवरलाल चौधरी, अरविन्द त्रिपाठी आदि ने बताया कि विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता तीन-चार चरणों में जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है। जिसमें काफी समय लग जाता है। प्रति वर्ष सत्र आरंभ में प्रथम चरण की जुलाई-अगस्त में जिला स्तर की प्रतियोगिताओं शुरू हो जाती है, इसलिए अद्र्धवार्षिक परीक्षा से पूर्व सम्पन्न हो जाती है। अन्यथा देरी से शुरू होने पर प्रतियोगिताओं के कारण पढ़ाई बाधित होती है। अत: ये प्रतियोगिताएं समय पर आयोजित की जानी चाहिए।
पांच अगस्त से ग्रामीण व शहरी ओलम्पिक
पूर्व में ग्रामीण व शहरी ओलम्पिक 10 जुलाई से प्रस्तावित थे, लेकिन इन्हें स्थगित कर अब पांच अगस्त से किया गया है। ऐसे में अगस्त व सितम्बर में उक्त प्रतियोगिताएं होंगी। हाल ही में ओलंपिक खेलों का रंगमंच के कलाकारों द्वारा नाटक के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा हैं।