
शहर में अब तक बनते आ रहे मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ रही हैं। आमजन को सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से बनाए गए मास्टर प्लान का जमकर उल्लंघन होता रहा है, जिससे शहर विकास की बजाय विनाश की और बढ़ता गया। जिम्मेदार अधिकारी भी इन कारनामों को अंजाम तक पहुंचाने में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष भागीदार रहे।
इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनवरी माह में शहरों के मास्टर प्लान को लेकर राजस्थान पत्रिका के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने एेतिहासिक फैसला सुनाया था। जिसकी आगामी चार माह में पालना के निर्देश भी दिए गए थे। उसके बावजूद कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं हो रही है।
हरित क्षेत्रों में निर्माण
सड़क किनारे 100 फीट तक हरित क्षेत्र में निर्माण हो गए। एेसे निर्माण हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी ध्वस्त नहीं किए गए। कई जगहों पर तो बड़े भवन बना दिए गए। बहुत सी जगहों पर अस्थाई अतिक्रमण है। फिर भी कार्रवाई का इन्तजार हो रहा है। जबकि हाईकोर्ट के सख्त आदेश भी हैं।
गोचर भूमि पर अतिक्रमण
जिले में गोचर भूमि पर बड़ा अतिक्रमण है। चाहे रामगढ़ क्षेत्र हो या मुण्डावर, तिजारा या बानसूर। अधिकतर जिले में गोचर भूमि का दूसरा उपयोग हो रहा है। कोर्ट के आदेशों के बावजूद प्रशासन ने कहीं भी गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की। न अदालतों में लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई हैं।
मास्टर प्लान को ही बदल दिया
अलवर में सबसे पहले वर्ष 1990 में मास्टर प्लान लागू हुआ था। जिसकी अवधि 2001 तक थी। जिसे बाद में वर्ष 2012 तक बढ़ा दिया गया। इस बीच में ही मास्टर प्लान में जो जगह पैराफेरी बैल्ट थी वहां भू उपयोग परिवर्तन कर दिए गए। उन जगहों पर बहुमंजिला इमारते खड़ी कर दी गई।
यही नहीं वर्ष 2013 में जब मास्टर प्लान बना तो उन जगहों के पुराने प्लान को ही बदल दिया गया। एक तरह से मास्टर प्लान ही बदल दिया। जबकि जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की यह बनती है कि मास्टर प्लान के विपरीत निर्माण, कब्जा या अन्य कोई काम हो रहा है तो उसे तुरन्त रोका जाए। एेसा करने की बजाय वर्ष 2013 में प्लान ही बदल दिया।
मास्टर प्लान में बदलाव बिना भूरूपान्तरण
वर्ष 2012 तक के मास्टर प्लान में बदलाव करने से पहले ही कई जगहों पर जमीनों का भूरूपांतरण कर दिया गया। शहर में तिजारा रोड, भवानीतौप सर्किल सहित कई अन्य जगहों पर एेसा हुआ है। जबकि कोर्ट का आदेश है कि व्यापक जनहित में एेसा किया जा सकता है।
बहुमंजिला इमारतें मनमर्जी से
शहर में बिना मंजूरी के बहुमंजिला इमारतें तो हर कॉलोनी में खड़ी हो गई हैं। एक या दो मंजिला की अनुमति लेकर चार से छह मंजिला भवन बना दिए गए। एेसा शहर के स्कीम दो, गौरव पथ, स्कीम आठ, स्कीम दस, स्कीम एक, तीन, पांच, सहित शहर की अधिकतर मुख्य सड़कों पर अवैध बड़ी इमारतें बना दी गई हैं। इन इमारतों के कारण बहुत सी जगहों पर तो पड़ौसियों को हवा व धूप भी पूरी नहीं मिल पा रही है।
सरकारी जगहों पर अतिक्रमण
मास्टर प्लान में छोड़ी गई सरकारी जगह जैसे संस्थानिक खुला क्षेत्र, सुविधा केन्द्र, खेल मैदान, उद्यान की जगह ही नहीं है। बहुत सी जगहों पर अतिक्रमण हो चुका है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पुख्ता नहीं होने से एेसा अधिक हो रहा है। जबकि हाईकोर्ट ने स्थानीय निकायों के जरिए इसकी पालना सुनिश्चित कराने के आदेश दिए हुए हैं।
Published on:
26 May 2017 05:45 pm
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