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देसी नुस्खों से ऐसा उपचार, खड़ा हो जाता बीमारियों से घिरा ‘लाचार

deshi treatment तीन पीढिय़ों से गुनीजन परिवार दे रहा है गरीब रोगियों को उपचार सुविधा, झोंपड़ी में दी जाती हैं दवाइयां, चारों ओर बोई हैं आयुर्वेदिक वनस्पति

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देसी नुस्खों से ऐसा उपचार, खड़ा हो जाता बीमारियों से घिरा 'लाचार

देसी नुस्खों से ऐसा उपचार, खड़ा हो जाता बीमारियों से घिरा 'लाचार

उदयपुर/ फलासिया. Deshi Treatment गरीब तबके के उपचार के लिए सरकार की ओर से शल्य चिकित्सा और नि:शुल्क दवाइयों जैसी ढेरों योजनाएं चलाई जा रही हैं। उपचार सेवाओं के नाम पर पढ़े लिखे चिकित्सकों की सुविधाएं हैं, लेकिन इन सबके बावजूद फलासिया की एक झोंपड़ी में मिलने वाली दवाइयों के प्रति स्थानीय रोगियों का विश्वास कई पीढिय़ों से अटूट बना हुआ है। लगातार तीन पीढिय़ों से गुणीजन की सेवाएं दे रहे परिवार की झोंपड़ी में हर मर्ज की दवा है। गुणीजन की ओर से आयुर्वेद ज्ञान के हिसाब से मरीज को हाथोंहाथ दवाइयां दी जाती हैं। गुणीजन का दावा भी है कि परंपरागत चिकित्सा पद्धति आज की आधुनिक दवाइयों से कम नहीं है। इन दवाइयों का खर्च भी कुछ नहीं है। गुणीजन शांतिलाल खराड़ी का परंपरागत चिकित्सा पद्वति के प्रति रूझान भी इस तरह है कि उसने झोंपड़ी के चारों ओर विशेष प्रजाति की आयुवेॢदक दवाइयां भी उगा रखी है।
गौरतलब है कि सरकारी सुविधा के बावजूद राजकीय चिकित्सालयों में चिकित्सकों की कमी और प्रतिदिन लगने वाली मरीजों की लंबी कतार से बचने के लिए ग्रामीणजन इस झोंपड़ी में देशी नुस्खों पर आधारित दवाइयों से स्वस्थ होना ज्यादा पसंद करते हैं।

बीमारियों का नि:शुल्क उपचार
भामटी निवासी शांतिलाल ने बताया कि घरेलू और आयुवेर्दिक नुस्खों से तैयार दवाइयां गुणीजनों का हुनर है। वर्तमान में वह बुखार, पीलिया, डायरिया, महिलाओं से जुड़ी बीमारी, पथरी, लकवा, महिला में बच्चेदानी जैसी समस्या, गटिया, वादी, पाइल्स, एग्जिमा, सफेद दाग जैसी बीमारियों का उपचार करते हैं। आने वाले मरीजों से गुणीजन की ओर से कोई जांच राशि नहीं ली जाती है। यहां तक की अधिकांश मौकों पर दवाइयां भी नि:शुल्क दी जाती हैं।

राज्यपाल से प्रमाण
जागरण जन विकास समिति बेदला करीब 1989 से परंपरागत चिकित्सा पद्वति से सेवाएं देने वाले लोगों को अधिकाधिक विकसित करने के लिए प्रयासरत है। परंपरागत चिकित्सा जानने वाले इन लोगों को गुणी नाम दिया गया है। भामटी का शान्तिलाल गुणी भी संस्था के संपर्क में आया। उपचार के गुण की जागृति को जानकर संस्था ने सरकार तक पहुंचाया। इसके बाद इंदिरागांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के माध्यम से शांतिलाल को प्रमाण-पत्र जारी किया गया, जो कि पूर्व राज्यपाल मार्गेट अल्वा के स्तर पर प्रदान किया गया।

जड़ी-बूटियों की खेती
गुणी शान्तिलाल के पास करीब 20 से 25 बीघा जमीन है। इसमें आधे से ज्यादा जमीन में जड़ी बूटी बोई जाती हैं। इसमें हस्तीकंद, जंगली अदरक, अडदिया केंद, काला धतूरा, अकरकरा, अडूसी, अश्वगंधा, तुलसी, नींबू, मुसली, सफेद मुसली, मिर्चियाकंद , खाटा लिंबा सहित 132 प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बोई हुई हैं। यह आयुर्वेदिक खेती शत प्रतिशत ऑर्गेनिक तरीकों से हो रही है। यहां तक भी झोंपड़े के चारों ओर ये जड़ीबूटियां लगी हुई हैं।

अर्जित किया ज्ञान
जागरण जन विकास समिति ने प्रदेश व बाहरी गुणियों से विशेष मुलाकात का मौका दिया। इस बहाने शांतिलाल ने अन्य दवाइयों का भी ज्ञान प्राप्त किया। इससे प्रेरित हुए शांतिलाल ने पुत्र के अलावा गांव के अन्य लोगों को भी उनके अनुभव एवं रोगोपचार के गुण की जानकारी दी। शांतिलाल का कहना है कि वह चाहते हैं कि उनके नहीं होने के बाद यह परंपरागत उपचार की प्रणाली जीवित रहे। इस सोच को ध्यान में रखकर वह लोगों को प्रेरित करते हैं। कई बार तो गांव में लगने वाले शिविर में भी शांतिलाल के स्तर पर लोगों को नि:शुल्क दवाइयां बांटी जाती हैं।

प्रदेश स्तर पर अनोखा
वर्षों से हम देश के कई राज्यों में परंपरागत चिकित्सा पद्वति को जानने वाले लोगों की खोज कर रहे उनके ज्ञान का संवद्र्धन कर रहे हैं। deshi treatment शंातिलाल उदयपुर ही नहीं राजस्थान का एक मात्र व्यक्ति होगा, जिसने लोगों के उपचार के लिए इतने बड़े स्तर पर उजड़ी-बूटियों की खेती कर रखी है।
रामकिशोर देसवाल, वैद्य, जागरण जन विकास समिति उदयपुर

प्रयासों की जरूरत
ऐसे जड़ी बूटी के जानकारों को जड़ी बूटी संरक्षक के तौर पर सूचीबद्ध कर राजस्थान राज्य औषधीय पादप बोर्ड एवं राज्य जैव विविधता बोर्ड से पंजीकरण कर जड़ी बूटी विपणन व्यवस्था एवं संरक्षण की मुख्यधारा से जोडऩे की जरूरत है।
जीपी सिंह झाला, लोक वनस्पति विशेषज्ञ, उदयपुर


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