विभागीय उदासीनता और ठेकेदार की मनमर्जी से अटका काम, गत 25 फरवरी 2025 को कार्य पूरा करने की अवधि भी हुई पूरी
सराड़ा(सलूम्बर). एक ओर जहां राज्य व केंद्र सरकार आमजन के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन विभागों व ठेकेदारों के लापरवाही के चलते धरातल पर कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहे है। ऐसा ही मामला सामने आया है सलूम्बर जिले के सराड़ा उपखंड में। यहां धावड़िया और कतिला गांवों के बीच बहने वाली टीडी नदी पर पुल निर्माण कार्य समयावधि समाप्त होने के बाद भी शुरू नहीं हो सका है। इसे लेकर गत वर्ष 2024 में 228 लाख रुपए की स्वीकृति पुल निर्माण के लिए की गई थी। इस कार्य को पूर्ण करने की अवधि भी 25 फरवरी 2025 थी। इसके बावजूद आज तक नदी पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। इससे ग्रामीणों में नाराजगी और निराशा का माहौल है।
पुल निर्माण की घोषणा के बाद लोगों को बड़ी राहत की उम्मीद थी। इससे पहले ग्रामीण अस्थायी पाइपलाइन से नदी पार करते थे। ग्रामीणों ने बताया कि पुल स्वीकृति के बाद ग्रामीणों को लगा कि अब पंचायत मुख्यालय और अन्य जरूरी कामों के लिए सुरक्षित आवागमन हो सकेगा। लेकिन संबंधित विभागों और ठेकेदारों की लापरवाही से आज तक कोई प्रगति नहीं हो पाई। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने कई बार अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया, लेकिन किसी ने भी ठोस कदम नहीं उठाया। ठेकेदार की ओर से पुरानी पाइपलाइन को हटाने के बाद अब पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। नदी किनारे खोदे गए गहरे गड्ढे जो अब हादसों को न्योता दे रहे है।
ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में तेज बहाव के दौरान कई पशु और लोग बह गए थे, जिन्हें मुश्किल से बचाया गया। ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्य, बच्चों को स्कूल भेजने, रोजगार और कृषि के लिए नदी पार करनी पड़ती है। धावड़िया के किसानों के खेत नदी के पार है, जिससे उन्हें भी परेशानी होती है।
बजट के अभाव में कार्य शुरू नहीं कर पाए, अब बजट आ गया है, शीघ्र कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
-डीएन सिंह, अधिशासी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, सलूम्बर
विभाग की लापरवाही के चलते आम जनता परेशान है। बार-बार विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाने के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-रेशमा मीणा, पंचायत समिति सदस्य, धावडि़या
ग्रामीणों के काफी संघर्ष के बाद राज्य सरकार की ओर से पुल के लिए राशि स्वीकृत हुई, लेकिन विभाग की लापरवाही व ठेकेदार की मनमर्जी के चलते आज तक पुल नहीं बन पाया है।
-जयसिंह चुंडावत व केशु लाल चौबीसा, ग्रामीण