
फोटो- प्रमोद सोनी ड्रोन सहयोग मुफद्दल फ़ोटोवाला
Save Aravalli Campaign: अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा तय होने के बाद युवाओं और पर्यावरण प्रेमियों में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस फैसले के विरोध में लोगों ने सोशल मीडिया पर सेव अरावली नाम से व्यापक अभियान छेड़ दिया है। खासतौर से युवा वर्ग इस मुद्दे को लेकर मुखर हो रहा है। इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। सरकार को भी आड़े हाथ लिया जा रहा है। इस मुद्दे पर पत्रिका ने भी एक पोल चलाया, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी राय दी है।
सोशल मीडिया पर अरावली को बचाने के समर्थन में रील्स, शॉर्ट वीडियो, पोस्टर और संदेश साझा किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग अपनी प्रोफाइल फोटो और डिस्प्ले पिक्चर में ‘सेव अरावली’ लिखी तस्वीरें लगाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं।
अभियान से जुड़े युवा मानते हैं कि नई परिभाषा के कारण अरावली क्षेत्र में खनन, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने का खतरा है।
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अरावली पर्वतमाला न केवल राजस्थान बल्कि उत्तर भारत के लिए भी एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है। यह भूजल संरक्षण, जैव विविधता और जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में इसकी परिभाषा में बदलाव भविष्य में गंभीर पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकता है।
अभियान से जुड़े सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं और आमजन से जुड़ने की अपील कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाया है। उनका कहना है कि डिजिटल माध्यम आज की सबसे बड़ी ताकत है और इसके जरिए जनमत तैयार कर सरकार और नीति निर्धारकों तक बात पहुंचाई जा सकती है। ‘सेव अरावली’ अभियान के जरिए युवा यह संदेश देना चाहते हैं कि विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर नहीं।
Updated on:
21 Dec 2025 11:14 am
Published on:
21 Dec 2025 11:12 am
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