scriptन किसी को चेक दिया, न पैसे उधार लिए, सिस्टम से हार गया 76 साल वृद्ध | Didn't give check, didn't take money, old man lost by system | Patrika News
उदयपुर

न किसी को चेक दिया, न पैसे उधार लिए, सिस्टम से हार गया 76 साल वृद्ध

न किसी को चेक दिया, न पैसे उधार लिए, सिस्टम से हार गया 76 साल वृद्ध

उदयपुरMay 28, 2023 / 10:36 pm

Mohammed illiyas

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मोहम्मद इलियास/उदयपुर

न मैंने किसी को चेक दिया और ना ही किसी से उधार लिया। बीस साल पुराने एक चेक में हेराफेरी कर उसे अनादरित करवाकर मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया। इससे जुड़े दस्तावेज जुटाकर थाने व बैंक के चक्कर काटते-काटते दस साल बीत चुके हैं। उम्र 76 वर्ष हो चुकी है, अब तो मुझसे चला भी नहीं जाता, थक गया हूं, न्याय दिला दो। यह कहना था कि सेक्टर.14 देवाली गोवर्धनविलास निवासी भगवतसिंह राठौड़ का।
चेक अनादरण का यह मामला 2013 में भंवरलाल मारू ने दर्ज करवाया था। उनका कहना था कि मुझे तो कोर्ट का सम्मन आने के बाद केस का पता चला। इसकी जानकारी जुटाई तो मैं खुद हैरान रह गया कि चेक में इतनी बड़ी गड़बड़ी होने के बावजूद बैंक ने कैसे ले लिया।
बैंक के एक दस्तावेज में शाखा प्रबंधक का कहना था कि उसकी शाखा में यह चेक कभी आया ही नहीं तो अनादरित नहीं हुआ। डीजीएम कार्यालय का कहना है कि चेक आया लेकिन इसकी जवाबदेही शाखा प्रबंधक की है। पुलिस में मामला दर्ज करवाया तो एक बार तो दोषी बताते हुए एफएसएल में जांच व हस्ताक्षर वृद्ध के ही बता दिए। उच्चाधिकारी के आदेश पर पुन:जांच हुई तो रिपोर्ट ही उल्टी हो गई। अब झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाला खुद दुनिया से चल बसा, लेकिन वृद्ध अभी भी न्याय की आस में भटक रहा है।
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एकचेक नम्बर 558426 में हुआ सब खेल
वृद्ध का कहना था कि उसकी चेक बुक की डायरी में से एक चेक को छोडकऱ सभी वर्ष 2006 में क्लियर हो गए। इस नम्बर का चेक 2013 में अनादरित बता दिया जबकि भंवरलाल मारू से कभी कोई पैसा ही नहीं लिया। मुकदमा दर्ज हुआ तो जांच की तो कई गड़बडिय़ां निकली।
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ये मिली गड़बडिय़ां, पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार

– चेकबुक की डायरी के दस चेक वर्ष 2006 में क्लियर हो गए थे तो महज एक चेक सात साल बाद बाउंस हुआ जो संदेह के घेरे में है
– चेक पर ओरिजनल नम्बर मिटा रखे है तथा उस पर कम्प्यूटर से टाइप नए नम्बर किए गए
– चेक डायरी 2003 की थी जिसे 2013 कर दिया गया। तारीख में हेराफेरी की, बैंक ने क्लीरिंग होना बताया दिया जबकि चेक मिस मैच था।
– डीजीएम को एक लेटर जारी हुआ, जिसने चेक अनादरण होना बताया। उसमें लिखा कि नॉन माइकर चेक को माइकर में कन्वर्ड नहीं किया जा सकता है जबकि यह कन्वर्ड किया गया तो इनवेलिड हो गया।
– डीजीएम ने लिखा कि सक्षम अधिकारी शाखा प्रबंधक है, शाखा प्रबंधक कह रहा है कि इस नम्बर का कोई चेक कभी बैंक में नहीं आया, न अनादरित हुआ, न रिटर्न मेमो दिया, न कोई रिटर्न चार्जेज लिए जबकि डीजीएम ऑफिस कह रहा है कि वह अनादरित हुआ और लौटाया गया।
– डीएम का पत्र भी संदेह के घेरे में है, उसे हस्ताक्षर किसके है यह जांच का विषय है।

थाने में भी हुआ बड़ा खेल

चेक गड़बड़ी का पता चलने पर जब वृद्ध ने गोवर्धनविलास थाने में प्रकरण दर्ज करवाया तो तत्कालीन आइओ ने उसकी एफएसएल करवाई और तथाकथित बैंक के एक डीजीएम का पत्र लगाते हुए चेक का अनादरित बता दिया और एफएसएल की रिपोर्ट में वृद्ध के हस्ताक्षर कर आरोपी बना दिया। वृद्ध ने एसपी से आग्रह कर पुन: जांच की मांग की तो तत्कालीन सीआई ने जांच की तो पूरी उलट गई। एसएसएल रिपोर्ट के साथ ही बैंक की रिपोर्ट भी पलट गई।

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